Thursday 28 January 2016

लाशो की राजनीति

  • रोहित की आत्‍महत्‍या की सही और निष्‍पक्ष्‍ा जॉच होनी चाहिए किसी भी राजनेता नही कहा बस उसकी मौत को राजनीति का रंग कैसे दें और अपना उल्‍लू कैसे सीधा करें यही गणित लगाने लगें । दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री जी भी दूसरों पर ही दोष लगानें लगें । ये वे नेता है जिन्‍हे ऐसे ही मुददों की तलाश रहती है । यदि इन नेताओं को देश से और मानव जाति से प्‍यार होता तों पहले इसकी जांच की मांग करतें फिर दण्‍ड की । यहा तो पहले दण्‍ड की मांग हो रही है । मरने वाला एक इंसान है ये किसी भी नेता ने नही कहा । राजनीति करने वालों ने उसें सिर्फ एक दलित मरा है कहकर सिर्फ दण्‍ड सुना डाला । यदि हमारें नेताअें की पहले कारण जाननें की  औरफिर काम करनें की मानसिकता होती तो आज अमरिका की जगह हम होते ।    रोहित का अस्तित्व हैदराबाद यूनिवर्सिटी में कई विवादों का कारण रहा है...। याकूब मेमन के मामले से सोशल साइट्स पर काफी जाना जाने लगा था। यूनिवर्सिटी के अन्य छात्रों को उसके अराजक विचारधारा का कई बार खामियाज़ा भुगतना पड़ा था। कई छात्रों को शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न सहना पड़ा था। उसका यूनिवर्सिटी के हॉस्टल से एक्सपलशन और सस्पेंशन यूं ही नहीं हुआ था। और ये कोई बड़ा कारण भी नहीं था उसके आत्महत्या करने का। क़र्ज़ में डूबे, टूटे दिल के रोहित के पास आत्महत्या के कई कारण थे, जो जांच में सामने आएंगे ही, लेकिन मेरा यहाँ पर कमेंट करने का उद्देश इस सवाल का ज़वाब पाना है। एक दलित या मुस्लिम की लाश ही क्यों ढूंढते फिरते है राजनीति करने वाले? जो मुआवज़ा अख़लाक़ के घरवालों को मिला वो प्रोत्साहन ही है रोहित जैसों के लिए के लिए, जान देने के लिए। वे जान गए है, हम मर भी गए तो कुल का उद्धार कर देंगे। सारे कर्जे चुक जायेंगे, परिवार को भरपूर पैसा, फ्लैट, नौकरियाँ, क्या-क्या नहीं मिल जाएंगा। उस जैसों की मौत के जिम्मेदार वो लोग है जो तुष्टिकरण की राजनीति करते है, और लोगों की बलि लेकर इन छद्म धर्मनिरपेक्षतावादियों का राजकारण चलता रहता है... धिक्कार है इनकी ऐसी राजनीति का, लानत है ऐसे राजनेताओं के जीवन पर। रही बात 'साहित्यकारों' की, वंशवादी राजनितिक राजघरानो के टुकड़ों पर पलनेवाले बिना रीढ़ के साहित्यकारों को उनकी अपनी आने वाली पीढ़ी ही सबक सिखाएंगी। जब ये निवाले निगलते होंगे तो इन लाशों की बोटियाँ कहीं न कही भीतर में चुभती तो होंगी ही। आज नक्‍सलवादियों ने सात पुलिस के जवानों को मारदिया लेकिन कोई नेता या इतिहासकार नही बोला । क्‍या वे किसी के बेटे या पिता नही थें ? जागों जनता जागों  ...............................

Tuesday 19 January 2016

दोहरे मापण्‍ड

  राजनीति के दोहरे मापदण्‍डो के कारण देश के विकास पर बहुत ही गहरा असर पड रहा है और देश के हित का कोई भी काम इस देश की जनता के द्वारा चुने गयें नेता गण करनें नही दे रहे है या होने नही दे रहे है । हमारें देश को आजाद हुए 69 वर्ष्‍ हो गयें है लेकिन हमारें देश  की मानसिकता को उन नेताओं ने जो लगभग उस समय के अंग्रेजों के पीटठू थें बदलनें ही नही दिया । अंग्रेजों के पीटठुओं का ही राजनीति में ज्‍यादा दबदबा रहा है इसलिए हम लोगों कों उन नेताओं ने कभी आजादी का अहसास होने ही नही दिया । इन सब बातों के सबूत आज हर जगह दिखाई पड रहे है कि अंग्रेजी पीटठओं ने अपने फायदों के लिए अम्‍बेडकर जी लिखित संविधान को भी नही बख्‍सा । अम्‍बेडकरजीने आरक्षण को केवल 10 वर्षो तक दिया लेकिन अपने वोट बैंक लिए ये इसे लगातार बढातें जा रहे है । यदि इसे सही तरह से लागू किया जाता तो आज देश का दलित वर्ग सम्‍पन्‍न होता लेकिन उसका फायदा केवल कुछ गिने चुने लोग ही उठा रहे है इसलिए आज 69 साल बीतनें के बाद भी गरीबी वही की वही है क्‍योंकि जिसकों आरक्षण की जरूरत है उन्‍हे तो मिल ही नही पाता । संविधान में ऐसा कही नही लिखा कि जो नौकरी के मापदण्‍ड है उनकों अनदेखा करके आरक्षण दिया जाय तों फिर जो लायक नही है उसे क्‍यों दिया गया ? यदि हमारें  देश के नेता दोगले न होते तो आज अमरिका की जगह हम खडें होते । क्‍या आरक्षण की समीक्षा नही होनी चाहिए ? सब नेता चाहते है हो, लेकिन कहेगा कोई नही । क्‍योकि सबको ये डर है कि कही वो नेता न रहे । देश के लिए सबसें ज्‍यादा योगदान मध्‍यम वर्ग का है नेताओं को चुनने में भी मध्‍यम वर्ग का हाथ है लेकिन सबसें ज्‍यादा शोषण भी आज मध्‍यम वर्ग का ही हो रहा है । क्‍योंकि मध्‍यम वर्ग की फूट को ये नेता अच्‍छी तरह भुनाना जान गयें है । निम्‍न वर्ग को सरकार सारी सुविधाए दे देती है उच्‍च वर्ग पहलें ही इतना लूट चुका है कि उसे सरकार की जरूरत नही है लेकिन ये मध्‍यम वर्ग कहा जायें उसका कोई साहरा नही है । इसलिए मै मध्‍यम वर्ग से जागनें की अपील करता हू और कहना चाहता हॅ कि नेता बनाओं तो अपनें बीच से जिसे आप अच्‍छी तरह जानतें है कि वह जनता के लिए काम करेगा या नही । यदि एक योजना नही करता तो दूसरा बदल दो । इससे कम से कम अपने आप तो एक घर सम्‍पन्‍न होगा । आज कही से भी कोई उच्‍च वर्ग का व्‍यक्ति नेता बनने आ जाता है और हम उसको जीता देते है और वह मनमानी करता है पूरे पाॅच साल तक जनता के पास नही जाता ।  चुनवा के समय  फिर हाथ जोडने आ जाता है और अपने पैसे के बल पर शराब पिलाकर फिर नेता बन जाता है । इसका सबसे ज्‍यादा खामयाजा आने वाली नस्‍लों को होगा । उच्‍च वर्ग के नेताओं ने भी अपनी लोबी बना ली है । जागों जनता जगों ....................................;


Tuesday 12 January 2016

देश में फैले आंतक और लगातार होने वाली घटनाओं को देखकर ये लगनें लगा है कि देश के नेता और देश के बडे बडे पदों पर बैठे अधिकारी देश से आंतकवाद को खत्म  करना नही चाहते । क्योकि यदि ये आंतक वाद खत्म हो गया तों नेताओं को जनता को बहकाने के लिए मुददे और अधिकारियों को आतंक के नाम पर मिलने वाली सुविधाए और पैसा जिसका कोई आडिट नही होता कैसे मिलेगा । गरीबी भी इसलिए ही खत्म नही हो पा रही है क्यों कि देश के सिर्फ 10 % लोग देश के 90 % लोगो का शोषण कर रहे है और सबसे ज्यादा शोषण तो 52 % उन लोगो का हो रहा है जो 1 % लोगों  को देश की समुचित प्रणाली को चलानें के लिए अपना कीमती मत देकर चुनते है लेकिन वही नेता उन्ही वोट  देनेवालें 52% लोगों को पॉच साल तक खून के आसू रूला देते है फिर दूसरा नेता कस्में वादों के साथ आता है और वह भी वही करता है जो पहले वालें करके गयें है आज तक देश विकास  की ही प्रक्रिया में है लेकिन विकसित नही हुआ क्यों  ? बाबा अम्बेडकर जी ने संविधान में आरक्षण का प्रावधान गरीब और पिछडे लोगों को उपर उठानें और सम्मान दिलानें के लिए  केवल 10 वर्षो के लिए किया था लेकिन इन नेताओ ने उसे अपनी राजनीति और देश को बरबाद करने के लिए उस आरक्षण का मकसद ही बदल दिया और सिर्फ कुछ लोगों ने इसे अपने फायदें के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया । जब एक परिवार का एक व्यक्ति आरक्षण का लाभ लेकर आईएएस या आईपीएस या डाक्टर या अन्य  सम्मानीय  सरकारी सेवा हासिल कर लेता है तो क्या उसका परिवार सक्षम नही हो जाता है ? लेकिन वह उस आरक्षण का लाभ केवल अपने परिवार तक ही सीमित कर देता है जिससे 66 वर्ष बीत जाने के बाद भी गरीबी वही की वही है और आरक्षण सिर्फ कुछ लोगो तक ही सीमित होकर रह गया है । यदि आरक्षण को सही तरीके से लागू किया जाता तो आज हम बहुत आगें होते । आरक्षणमें क्रीमीलेयर की शर्त जोडनी होगी जिससे सही आदमी ही आरक्षण का लाभ ले सके । आरक्षण्‍ा कुछ गिने चुने लोागों की बपौती बनकर रह गया है ।  जागों जनता जागों ....................