देश में फैले आंतक और लगातार होने वाली घटनाओं को देखकर ये लगनें लगा है कि देश के नेता और देश के बडे बडे पदों पर बैठे अधिकारी देश से आंतकवाद को खत्म करना नही चाहते । क्योकि यदि ये आंतक वाद खत्म हो गया तों नेताओं को जनता को बहकाने के लिए मुददे और अधिकारियों को आतंक के नाम पर मिलने वाली सुविधाए और पैसा जिसका कोई आडिट नही होता कैसे मिलेगा । गरीबी भी इसलिए ही खत्म नही हो पा रही है क्यों कि देश के सिर्फ 10 % लोग देश के 90 % लोगो का शोषण कर रहे है और सबसे ज्यादा शोषण तो 52 % उन लोगो का हो रहा है जो 1 % लोगों को देश की समुचित प्रणाली को चलानें के लिए अपना कीमती मत देकर चुनते है लेकिन वही नेता उन्ही वोट देनेवालें 52% लोगों को पॉच साल तक खून के आसू रूला देते है फिर दूसरा नेता कस्में वादों के साथ आता है और वह भी वही करता है जो पहले वालें करके गयें है आज तक देश विकास की ही प्रक्रिया में है लेकिन विकसित नही हुआ क्यों ? बाबा अम्बेडकर जी ने संविधान में आरक्षण का प्रावधान गरीब और पिछडे लोगों को उपर उठानें और सम्मान दिलानें के लिए केवल 10 वर्षो के लिए किया था लेकिन इन नेताओ ने उसे अपनी राजनीति और देश को बरबाद करने के लिए उस आरक्षण का मकसद ही बदल दिया और सिर्फ कुछ लोगों ने इसे अपने फायदें के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया । जब एक परिवार का एक व्यक्ति आरक्षण का लाभ लेकर आईएएस या आईपीएस या डाक्टर या अन्य सम्मानीय सरकारी सेवा हासिल कर लेता है तो क्या उसका परिवार सक्षम नही हो जाता है ? लेकिन वह उस आरक्षण का लाभ केवल अपने परिवार तक ही सीमित कर देता है जिससे 66 वर्ष बीत जाने के बाद भी गरीबी वही की वही है और आरक्षण सिर्फ कुछ लोगो तक ही सीमित होकर रह गया है । यदि आरक्षण को सही तरीके से लागू किया जाता तो आज हम बहुत आगें होते । आरक्षणमें क्रीमीलेयर की शर्त जोडनी होगी जिससे सही आदमी ही आरक्षण का लाभ ले सके । आरक्षण्ा कुछ गिने चुने लोागों की बपौती बनकर रह गया है । जागों जनता जागों ....................
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