राजनीति के दोहरे मापदण्डो
के कारण देश के विकास पर बहुत ही गहरा असर पड रहा है और देश के हित का कोई भी
काम इस देश की जनता के द्वारा चुने गयें नेता गण करनें नही दे रहे है या होने नही दे रहे है । हमारें देश
को आजाद हुए 69 वर्ष् हो गयें है लेकिन हमारें देश की मानसिकता को
उन नेताओं ने जो लगभग उस समय के अंग्रेजों के पीटठू थें बदलनें ही नही दिया ।
अंग्रेजों के पीटठुओं का ही राजनीति में ज्यादा दबदबा रहा है इसलिए हम लोगों कों उन नेताओं ने कभी आजादी का अहसास होने ही नही दिया । इन सब बातों के सबूत आज हर
जगह दिखाई पड रहे है कि अंग्रेजी पीटठओं ने अपने फायदों के लिए अम्बेडकर जी लिखित
संविधान को भी नही बख्सा । अम्बेडकरजीने आरक्षण को केवल 10 वर्षो तक दिया लेकिन अपने वोट बैंक लिए ये इसे लगातार बढातें जा
रहे है । यदि इसे सही तरह से लागू किया जाता तो आज देश का दलित वर्ग सम्पन्न
होता लेकिन उसका फायदा केवल कुछ गिने चुने लोग ही उठा रहे है इसलिए आज 69 साल बीतनें
के बाद भी गरीबी वही की वही है क्योंकि जिसकों आरक्षण की जरूरत है उन्हे तो मिल
ही नही पाता । संविधान में ऐसा कही नही लिखा कि जो नौकरी के मापदण्ड है उनकों
अनदेखा करके आरक्षण दिया जाय तों फिर जो लायक नही है उसे क्यों दिया गया ? यदि
हमारें देश के नेता दोगले न होते तो आज
अमरिका की जगह हम खडें होते । क्या आरक्षण की समीक्षा नही होनी चाहिए ? सब नेता
चाहते है हो, लेकिन कहेगा कोई नही । क्योकि सबको ये डर है कि कही वो नेता न रहे ।
देश के लिए सबसें ज्यादा योगदान मध्यम वर्ग का है नेताओं को चुनने में भी मध्यम
वर्ग का हाथ है लेकिन सबसें ज्यादा शोषण भी आज मध्यम वर्ग का ही हो रहा है । क्योंकि
मध्यम वर्ग की फूट को ये नेता अच्छी तरह भुनाना जान गयें है । निम्न वर्ग को
सरकार सारी सुविधाए दे देती है उच्च वर्ग पहलें ही इतना लूट चुका है कि उसे सरकार
की जरूरत नही है लेकिन ये मध्यम वर्ग कहा जायें उसका कोई साहरा नही है । इसलिए मै
मध्यम वर्ग से जागनें की अपील करता हू और कहना चाहता हॅ कि नेता बनाओं तो अपनें
बीच से जिसे आप अच्छी तरह जानतें है कि वह जनता के लिए काम करेगा या नही । यदि एक
योजना नही करता तो दूसरा बदल दो । इससे कम से कम अपने आप तो एक घर सम्पन्न होगा
। आज कही से भी कोई उच्च वर्ग का व्यक्ति नेता बनने आ जाता है और हम उसको जीता देते है और वह मनमानी करता है पूरे पाॅच साल तक जनता के पास नही जाता । चुनवा के समय फिर हाथ जोडने आ जाता है और अपने पैसे के बल पर शराब पिलाकर फिर नेता बन जाता है । इसका सबसे ज्यादा खामयाजा आने वाली नस्लों को होगा । उच्च वर्ग के नेताओं ने भी अपनी लोबी बना ली है । जागों जनता जगों
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