केजरीवालजी दिल्ली में
जाम और प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ नही करना चाहते है इसका ताजा सबूत आटों के 10000
प्रमिट देने से मिलता है 10000 ऑटों दिल्ली की सडकों पर चलने से निम्नलिखित प्रभाव
पडेगे जिन पर पढे लिखें केजरीवालजी का ध्यान क्यो नही गया ये भी जनता समझें :-
लगभग 9 आटों सडक पर दो
बसो की जगह पर चलेगें तो 10000 ऑटों 2222 बसों की जगह घेरेगें
लेकिन एक आटों मे लगभग
3 सवारी चल सकती है तों 10000 आटों में 30000 सवारी ही चल पायेंगी
तो एक बस में लगभग 50
से ज्यादा ही सवारी चलती है तो 2222 बसों 1,11,100 सवारी चलेगीं
एक बस लगभग 3 आटों के
बराबर प्रदूषण कर सकती है तो 10000 आटों 3333 बसे उतना प्रदूषण करेगीं ।
यदि केजरीवालजी दिल्ली
की जनता की सेहत या सहुलियत की सोचते तो आटों के मुकाबलें हाईकैपेसीटी बसों के प्रमिट
देने की या डीटीसी बसें बढानें की सोचते ।
लेकिन उन्होने ये आटों के प्रमिट सिर्फ अपनें विधायकों के लिए उनके व्यापार करनें के लिए दियें है
तभी तों वह कानून भी फेल कर दिया जिसके नियम था कि आटों मालिक ही आटों चलाऐगें । लेकिन
उसे भी जाम और प्रदूषण की आड लेकर सम और विषम फार्मूला लागू करने पर जनता की परेशानी के बहाने बदल दिया और आदेश कर दिया कि आटों किरायें पर भी
दियें जा सकेगें । ये 10000 आटों केवल और केवल किरायें पर चलाने के मक्सद से है नाकि किसी
सहुलियत के लिए । दिल्ली में पहले से ही लगभग 80 हजार आटों 300 से 400 आर टीवी और
अनगिनता बसें बिना प्रमिट के चल रहे है जिससे राजस्व की हानि तों हो ही रही है दिल्ली
में जाम और प्रदूषण भी बढता ही जा रहा है ।यदि केजरीवाल केवल 2000 बसें और बढाये और उनकों सही बारमबारता क्रम में चलायें तो उन 10000 आटों के मुकाबलें जाम कम होगा प्रदूषण भी कम होगा और लोगो को सहुलियत ज्यादा होगी । उक्त सम और विषम का फार्मूला जिस भी देश
ने लागू किया उसके दुष्परिणाम ज्यादा निकले और जिसके पास एक गाडी थी उसनें सम और
विषम की गाडी खरीद ली वैसा ही यहा होगा । ये सारें हालात देखकर यही लग रहा है कि ये
सब ड्रामा कमीशन और व्यापार का है । वरना पहले दिल्ली सरकार को जाम और प्रदूषण की
समीक्षा करनी चाहिए थी कि ये इनका कारण क्या है लेकिन केजरी वालजी को अपने लाभ के
आगें दिल्ली की जनता को तडफाना ज्यादा अच्छा लग रहा है । आज दिल्ली में सबसें ज्यादा
चौडी सडके है लेकिन उनका उपयोग केवल चन्द लोग अपने व्यापार के लिए कर रहे है । यदि उसकी
एक निश्चित सीमा तय कर दी जाये कि एक दुकानवाला सडक का इतने वर्गमीटर उपयोग कर सकता
है और उसका उसे इतना पैसा सरकार को देना होगा । वे लोग अभी भी दे रहे है लेकिन अभी
वे पुलिस और एमसीडी के भ्रष्ट लोगों को दे रहे है फिर वह सरकार में आऐगा और राजस्व बढेगा । लेकिन ये
काम आप करना नही चाहते क्योकि उससे जनता को फायदा होगा और आप सभी नेता ये नही चाहतें । आज सडक पर चारों ओर आटों ही
आटों नजर आते है हर कार के आगें आपकों आटों मिलेगा । आटों वाला कार को आगें जाने ही
नही देता जिससे ट्रैफिक सडक पर ही रूका रहता है । यदि आटों की एक लाइन कर दी जाए और
उनका ओवर टेक बन्द कर दिया जाय तो जाम आधा प्रदूषण आधा । हिम्मत है तो करके दिखाओं
। इसमें कोई केन्द्र सरकार और उप राज्यपाल दखल नही देगा । केजरीवालजी मेरे दोस्त के पास दिल्ली के जाम और प्रदूष्ाण को कम करने का सटीक फार्मूला जिसे जनता और दिल्ली के सभी लोग पसन्द करेगें ।
जागों जनता जागों..................................
और नेताओं की चालें समझों नेताओं को हमने सिर्फ काम के लिए चुना है हमें चूसनें के लिए नही ।
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