मीडिया की टीआरपी
हमारे देश की मीडिया
के कारण भी कुछ अच्छे काम हुए है एवं ज्यादा बुरे भी हुए है और हो रहे है । न्यूज
चैनल अपने चैनल की टीआरपी बढानें के लिए कुछ भी और न्यूज कों किसी भी तरह तरोड
मरोड कर दिखानें से बाज नही आतें है पिछलें दिनों कई खबरों को इतना तरोडा मरोडा
गया कि उसकी सत्यता ही खत्म कर दी जिनमें फरीदाबाद दो बच्चों को जलाने का मामला, हैदराबाद मे रोहित वेमुला की आत्महत्या का मामला और
अब जे एन यू में कन्हैया मामला । कन्हैया मामले को तो न्यूज चैनलों ने इतना
तरोड मरोड दिया कि जनता समझ ही नही पा रही है कि कन्हैया ने जो किया वो किया भी
है कि नही या उसे नेता बनाने के लिए सभी पार्टी और मीडिया मिलकर काम तो नही कर रही
है । वरना जिस तरह कन्हैया के पक्ष में कुछ नेता इस तरह बयान बाजी कर रहे है जैसे
वह उनका सगा बेटा हो और जो देश के लिए शहीद हो रहे है उनके लिए कोई नेता हमदर्दी
तक नही दिखाता । और तो और कन्हैया ने आर्मी जवानों को बलात्कारी तक कह डाला फिर
भी कोई नेता कुछ नही बोला उल्टा उसके समर्थन में खडे है और उनका भरपूर साथ मीडिया
दे रहा है । इसी तरह अभी पाकिस्तान ने भारत के साथ कुछ आतंकवादियों के भारत आने
के बारें कुछ जानकारी साझा की तो मीडिया ने उसे अपने चैनलों पर बडें जोर शोर से
दिखाया । ये जानकारी सिर्फ टीआरपी के कारण और अपने चैनलों को श्रेष्ठ बताने के
चक्कर में की जाती है लेकिन इससे देश की सुरक्षा का कितना नुकसान हो रहा है उसे
भी समझना चाहिए । पुलिस या कोई अन्य संगठन किसी अपराधी को अपने तरीकों से पकडता
है तो मीडिया ही अपनी रोचकता के लिए अपराधी को किस किस तरह पकडा गया सारा ब्यौरा
बखान कर देतें है जिससें आगें अपराधी सतर्क रहें । आज मीडिया का इतना बोलबाला है
यदि मीडिया चाहे तों देश का आधें से ज्यादा अपराध कम कर सकती है और लोगों में
अपराध के खिलाफ लडनें की नई चेतना और नया जोश भर सकती है लेकिन मीडिया कों सिर्फ
अपनी टीआरपी से मतलब है देश कही जाये । अपने ही न्यूज चैनलों पर सिर्फ पैसों के
लिए सुबह से शाम तक ढोंगी बाबाओं के प्रोग्राम दिखातें है जो केवल बीज मंत्रों से
रोग ठीक करते है, नौकरी दिलातें है, पेपरों में प्रथम श्रेणी दिलाते है और घर में सुख शान्ति करवानें का दावा करतें है
। कुछ तों केले, पानी पूरी,
जलेबी इत्यादि खानें से भगवान की
कृपा बरसवा देने का दावा कर देते है । क्या ये सिर्फ पैसा कमाने के धन्धें नही
है जिन्हे मीडिया रोकने के बजाय पैसा कमानें का जरिया बना कर लोगों को बेवकुफ
बनानें में इन ढोंगी बाबाओं का साथ दे रहा है । यदि बीमारी बीजमंत्रों से बाबा ठीक करातें है तों इतनें अस्पताल खोलने की क्या जरूरत है ? जब इन बाबाओं को इतना पता है तो बार्डर पर आंतकंवादी कहा से आ रहे है ये क्यों नही बता देतें ? क्यों इतने आदमी बार्डर पर मर रहे है उनका समाधान ये बाबा क्यों नही बता देंते ? आज जो बाबाओं का करेज बढा है उसमें मीडिया का हाथ भी है । मीडिया के द्वारा जो कुछ अच्छे काम हुए है वे अनानास ही हुए है इनमें किसी तरह की कोशिाश से ये काम नही हुए है ।
आज जो हालत देश की हो रही है उसमें
70% मीडिया का और २० % नेताओं का और केवल 10 % जनता का हाथ है । यदि मीडिया देश के
लिए काम करना शुरू कर दें तों हम अमरिका कों मात्र तीन साल में पछाड सकते है और ये
असहिष्णुता की बीमारी जो केवल मीडिया की ही देने को प्यार और सदभावना मे बदल
सकतें है । जागों मीडिया जागों और इस जनता को भी जगाओं .......................