Wednesday, 16 March 2016

मीडिया की टीआरपी

मीडिया की टीआरपी

हमारे देश की मीडिया के कारण भी कुछ अच्‍छे काम हुए है एवं ज्‍यादा बुरे भी हुए है और हो रहे है । न्‍यूज चैनल अपने चैनल की टीआरपी बढानें के लिए कुछ भी और न्‍यूज कों किसी भी तरह तरोड मरोड कर दिखानें से बाज नही आतें है पिछलें दिनों कई खबरों को इतना तरोडा मरोडा गया कि उसकी सत्‍यता ही खत्‍म कर दी जिनमें फरीदाबाद  दो बच्‍चों को जलाने का मामला, हैदराबाद मे रोहित वेमुला  की आत्‍महत्‍या का मामला और अब जे एन यू में कन्‍हैया मामला । कन्‍हैया मामले को तो न्‍यूज चैनलों ने इतना तरोड मरोड दिया कि जनता समझ ही नही पा रही है कि कन्‍हैया ने जो किया वो किया भी है कि नही या उसे नेता बनाने के लिए सभी पार्टी और मीडिया मिलकर काम तो नही कर रही है । वरना जिस तरह कन्‍हैया के पक्ष में कुछ नेता इस तरह बयान बाजी कर रहे है जैसे वह उनका सगा बेटा हो और जो देश के लिए शहीद हो रहे है उनके लिए कोई नेता हमदर्दी तक नही दिखाता । और तो और कन्‍हैया ने आर्मी जवानों को बलात्‍कारी तक कह डाला फिर भी कोई नेता कुछ नही बोला उल्‍टा उसके समर्थन में खडे है और उनका भरपूर साथ मीडिया दे रहा है । इसी तरह अभी पाकिस्‍तान ने भारत के साथ कुछ आतंकवादियों के भारत आने के बारें कुछ जानकारी साझा की तो मीडिया ने उसे अपने चैनलों पर बडें जोर शोर से दिखाया । ये जानकारी सिर्फ टीआरपी के कारण और अपने चैनलों को श्रेष्‍ठ बताने के चक्‍कर में की जाती है लेकिन इससे देश की सुरक्षा का कितना नुकसान हो रहा है उसे भी समझना चाहिए । पुलिस या कोई अन्‍य संगठन किसी अपराधी को अपने तरीकों से पकडता है तो मीडिया ही अपनी रोचकता के लिए अपराधी को किस किस तरह पकडा गया सारा ब्‍यौरा बखान कर देतें है जिससें आगें अपराधी सतर्क रहें । आज मीडिया का इतना बोलबाला है यदि मीडिया चाहे तों देश का आधें से ज्‍यादा अपराध कम कर सकती है और लोगों में अपराध के खिलाफ लडनें की नई चेतना और नया जोश भर सकती है लेकिन मीडिया कों सिर्फ अपनी टीआरपी से मतलब है देश कही जाये । अपने ही न्‍यूज चैनलों पर सिर्फ पैसों के लिए सुबह से शाम तक ढोंगी बाबाओं के प्रोग्राम दिखातें है जो केवल बीज मंत्रों से रोग ठीक करते है, नौकरी दिलातें है, पेपरों में प्रथम श्रेणी दिलाते है  और घर में सुख शान्ति करवानें का दावा करतें है । कुछ तों केले, पानी पूरी, जलेबी इत्‍यादि खानें से भगवान की कृपा बरसवा देने का दावा कर देते है । क्‍या ये सिर्फ पैसा कमाने के धन्‍धें नही है जिन्‍हे मीडिया रोकने के बजाय पैसा कमानें का जरिया बना कर लोगों को बेवकुफ बनानें में इन ढोंगी बाबाओं का साथ दे रहा है । यदि बीमारी बीजमंत्रों से बाबा ठीक करातें है तों इतनें अस्‍पताल खोलने की क्‍या जरूरत है ? जब इन बाबाओं को इतना पता है तो बार्डर पर आंतकंवादी कहा से आ रहे है ये क्‍यों नही बता देतें ? क्‍यों इतने आदमी बार्डर पर मर रहे है उनका समाधान ये बाबा क्‍यों नही बता देंते ? आज जो बाबाओं का करेज बढा है उसमें मीडिया का हाथ भी है । मीडिया के द्वारा जो कुछ अच्‍छे काम हुए है वे अनानास ही हुए है इनमें किसी तरह की कोशिाश से ये काम नही हुए है । 
 आज जो हालत देश की हो रही है उसमें 70% मीडिया का और २० % नेताओं का और केवल 10 % जनता का हाथ है । यदि मीडिया देश के लिए काम करना शुरू कर दें तों हम अमरिका कों मात्र तीन साल में पछाड सकते है और ये असहिष्‍णुता की बीमारी जो केवल मीडिया की ही देने को प्‍यार और सदभावना मे बदल सकतें है । जागों मीडिया जागों और इस जनता को भी जगाओं .......................

Tuesday, 16 February 2016

आज की राजनीति

देश की सभी राजनीतिक पार्टी सिर्फ एक पार्टी बीजेपी पर ही आरोप प्रत्यारोप मढ रही है बीजेपी की सरकार देश में एक साल से है उस पर हर तरह से आरोप अन्‍य पार्टिया लगा रही है क्‍या कोई भी जो करवाया जा रहा है अपने शासन काल में अपने को ही बदनाम करने के लिए करवा सकता है आज से पहले जब भी कोई देश द्रोह की गति विधि देश में होती थी तो कहा जाता था कि पाकिस्‍तान करवा रहा है लेकिन आज जो कुछ भी गति विधि होती है तो सारी पार्टी एक होकर ये क्‍यों कहती है कि बीजेपी करवा रही है क्‍या सारी पार्टी बीजेपी से इतनी दहशत में है कि उस पर आरोप लगाकर जनता की सहानुभूति बटोरने के लिए कुछ भी करवा सकती है । जनता आज सब जानती है । सबकों पता कि जवाहर लाल यूनिवर्सीटी  कांग्रेस का गढ है वहा जो कुछ हुआ वों कांग्रेस की सोची समझी चाल है । लेकिन आप पार्टी ने भी बिना कुछ सोचे समझे बहती गंगा में हाथ धोने सोचे है  और केन्‍द्रसरकार पर आरोप जड दिया । किसी भी पार्टी ने इतनी ताकत दो दिन पहले देश के लिए शहीद हुए जवानों के लिए नही दिखाई । यहा एक कन्‍हैया नामक छात्र के लिए लाम बन्‍द हो गयें और तोडफोड कर रहे है । आपके अनुसार यदि कन्‍हैया नामक छात्र बेसूर है तो न्‍यालय है ना वहा जाकर सारें नेता अभिनेता और उसके सहपाठी जो उसें बेसूर मानते है गवाह की सूची में नाम दर्ज करवा कर उसके पक्ष में गवाही दें यदि वह बेसूर है तो कोर्ट बरी करेगा । लेकिन कुछ लोग जो परदे की पीछे से इसे संचालन कर रहे है वे  यह नही चाहते कि जॉच हो और उन पर भी आंच आयें । प्रशान्‍त भूषण कपिल सिब्‍बल और राम जेठमलानी जैसे वकीलों ने ऐसे अपराधियों के होसलें और बढा रखें जिनका मकसद सिर्फ न्‍याय की हत्‍या करके पैसा कमाना है । आज देश की अदालतों में लगभग 3 करोड केश पेन्डिंग है जिन्‍हे दो वकील और एक जज मिलकर सालों तक हल नही होने देते । जिसके चलते आज हमारें देश की हालत इतनी दयनीय है कि कोई भी शरीफ आदमी न्‍याय के लिए कोर्ट जाना की नही चाहतें । आज वकील जितना राजनीति में दखल दे रहे है यदि वें (वकील)अपनें पेशे के प्रति वफादार होते तों हमारा देश भी न्‍याय प्रिय देश बन सकता था । किसी भी मुकदमें की समय सीमा 2 साल सें ज्‍यादा न होती यदि ये वकील चाहते तों । किसी भी मुकदमें चार बार से ज्‍यादा बहानेबाजी की तारीख न दी जाती यदि ये वकील चाहते तो । और वही झूठ का सहारा लेकर देश की राजनीति को भी कलंकित कर रहे है हमारें देश के वकील । हमारें देश में सिर्फ और सिर्फ न्‍याय प्रक्रिया पर काम करने की जरूरत है जिससें कि न्‍याय जल्‍दी मिलें । यहा तो फास्‍ट ट्रेक कोर्ट के मुकदमों में भी चार से आठ  साल लग रहे है तो देशद्रोही के मामलें क्‍यों नही बढेगें, अपराध क्‍यों नही बढेगें । सारें नेता एक दूसरें की टांग खीचनें मे लगें है यदि जितनी ताकत और दिमाग ये एक दूसरें की टांग खीचने में लगा रहे है उससे आधी ताकत भी देश के विकास के लिए लगा दे तों अमरिका को एक साल के अंदर पछाड सकतें है । लेकिन जो लोग ये हरकतें कर रहें है वे तों अंग्रेजों के दलाल रहे है तो दलाल तों हर काम में अपनी दलाली ढूढता है । तों ऐसे लोंगों से देश प्रेम की आशा कैसे की जा सकती है । दूसरें राजनीति भी ऐसे ही लोगों के परिवार की बपौती बन कर रह गई है वे लोग नही चा‍हते कि इसमें नयें लोग भी आयें । जोगो जनता जागों और सच को पहचानों और देशद्रोहियों को मत बक्‍शों ................................

Wednesday, 10 February 2016

सबसे बडी समस्‍या परिवहन व्‍यवस्‍था

श्रीमान केजरीजी हम जनता ने तो सबसे त्रस्‍त होकर आप पर भरोसा जताया था और आपको  रिकार्ड  बहुमत दिया लेकिन आपने दिल्‍ली के लोगों की जिंदगी को ही नर्क बना दिया है और आप अपनी पीठ विज्ञापनों के माध्‍यम से खुद ही थपथपा रहे हो और जनता के खून पसीने की कमाई पर ही ऐश कर रहे हो । दिल्‍ली की परिवहन व्‍यवस्‍था जो आपके पूर्ण्‍ तया अधीन काम है जिसमें किसी की भी दखलंदाजी नही ही है और जनता उससे बहुत ही दुखी है वो काम आप एक साल में दिल्‍ली वालों के लिए करने में पूर्ण तया  नाकामयाब रहे है आप जितनी बेशर्म पार्टी आज तक देश में आई ही नही जो सिर्फ झूठ का ही सहारा लेकर काम न करने के बहाने लगाती है और उसका सारा दोष दूसरों पर मंढती है । परिवहन व्‍यवस्‍था वह व्‍यवस्‍था है जिसे सुचारू और सुविधा जनक करने से दिल्‍ली का 70 % विकास अपने आप शुरू हो जाएगा दूसरे जाम और प्रदूषण दोनो से दिल्‍ली को  मुक्ति मिलेगी । जाम के कारण लोगों में जो तनाव बढ रहा है वह नही रहेगा और तनाव नही होगा तो सारें दिनभर के काम अच्‍छे होंगें । लेकिन आप ही नही कोई भी  पार्टी जनता की इस मुख्‍य समस्‍या पर ध्‍यान नही दे रही है । आजकल का महौल देखकर महसूस होने लगा है कि नेता, नौकरशाही, बिजनेस मैन और मीडिया एक साथ मिलकर देश को नर्क में धकेलने का काम कर रहे है । इसके पुख्‍ता सबूत चारों और देखने को मिल रहे है । किसी मामले को बिना मतलब के इतना तूल दे दिया जाता है और जो मामला देश हित में होगा उसे दबा दिया जाता है । जैसे अभी कुछ मामलें हुए है जिसमें इंसान के धर्म और जात पर राजनीति की गई है। ऐसे दूसरें मामले जो इन मामलों से भी संगीन थें उंहे सामने आने ही नही दिया गया । आज भारत में देश के प्रधानमंत्री जी को सरें आम गालिया दी जाती है उसके पुतले फूके जाते है । प्रधानमंत्रीजी को एक दो कोडी का नेता आतंकवादी कहकर सम्‍बोधित करता है । लेकिन यदि मध्‍यम वर्ग का आदमी इस देश में कुछ कर दें तो आफत आ जाती है । यह देश सिर्फ उच्‍च वर्ग और निम्‍न वर्ग के लिए ही है । जबकि देश के विकास और इसकी सुरक्षा मे सबसे बडा योगदान मध्‍यम वर्ग का ही है लेकिन सबसे ज्‍यादा शोषण भी मध्‍यम वर्ग का ही हो रहा रहा है । उच्‍च वर्ग ने भ्रष्‍टाचार के माध्‍यम से इतना कमा लिया कि उंहे किसी चीज की समस्‍या नही आती है उनका कोई काम नही रूकता है । निम्‍न वर्ग को नेता ने इतनी योजनाऐ दे रखी है कि उंहे कुछ करने की जरूरत नही है । आज देश में रोज बलात्‍कार और गेंग रेप हो रहे है क्‍या कभी आया कि उच्‍च वर्ग के किसी नेता या बडें बिजनेस मेन की लडकी के साथ उक्‍त घटना घटी है या जितने दंगें रोज हो रहे उनमें किसी नेता का रिस्‍तेदार मरा या घायल हुआ है । इसलिए उन लोगो को इन दुखद घटनाओं का कितना दुख होता है नही पता । यदि ऐसा हो जाता तो इन पर अब तक कानून भी बन गयें होते और ये घटनाए भी बंद हो गयी होती । ये नेता ही अरोपी को सह देतें रहें है । किसी भी नेता में सच कहने की हिम्मत नही है ।आज नेताओं के वेतन बढानें या अन्‍य कोई लाभ का बिल पेश होना हो तो सारे नेता एक हो जाते है लेकिन वही किसानो या आम जनता के लाभ का बिल कभी पास नही होता क्‍योकि ये इन सब नेता ओ की ही सॉठ गॉठ होती है ।  नेताओं की चिकनी चुपडी बातो में निम्‍न और मध्‍यम वर्ग के लोग इंहे ताकत देतें है और वही फिर इनका शोषण करतें है । उच्‍च वर्ग के आधा % लोग भी मतदान नही करतें । देश में यदि मतदान अनिवार्य कर दिया जाय तों ज्‍यादा बेहतर होगा और अच्‍छे नेताओ को  चुनने में सहायता मिलेगी । करके तो देखिए । जागो जनता जागो ...............................................................;

Thursday, 28 January 2016

लाशो की राजनीति

  • रोहित की आत्‍महत्‍या की सही और निष्‍पक्ष्‍ा जॉच होनी चाहिए किसी भी राजनेता नही कहा बस उसकी मौत को राजनीति का रंग कैसे दें और अपना उल्‍लू कैसे सीधा करें यही गणित लगाने लगें । दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री जी भी दूसरों पर ही दोष लगानें लगें । ये वे नेता है जिन्‍हे ऐसे ही मुददों की तलाश रहती है । यदि इन नेताओं को देश से और मानव जाति से प्‍यार होता तों पहले इसकी जांच की मांग करतें फिर दण्‍ड की । यहा तो पहले दण्‍ड की मांग हो रही है । मरने वाला एक इंसान है ये किसी भी नेता ने नही कहा । राजनीति करने वालों ने उसें सिर्फ एक दलित मरा है कहकर सिर्फ दण्‍ड सुना डाला । यदि हमारें नेताअें की पहले कारण जाननें की  औरफिर काम करनें की मानसिकता होती तो आज अमरिका की जगह हम होते ।    रोहित का अस्तित्व हैदराबाद यूनिवर्सिटी में कई विवादों का कारण रहा है...। याकूब मेमन के मामले से सोशल साइट्स पर काफी जाना जाने लगा था। यूनिवर्सिटी के अन्य छात्रों को उसके अराजक विचारधारा का कई बार खामियाज़ा भुगतना पड़ा था। कई छात्रों को शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न सहना पड़ा था। उसका यूनिवर्सिटी के हॉस्टल से एक्सपलशन और सस्पेंशन यूं ही नहीं हुआ था। और ये कोई बड़ा कारण भी नहीं था उसके आत्महत्या करने का। क़र्ज़ में डूबे, टूटे दिल के रोहित के पास आत्महत्या के कई कारण थे, जो जांच में सामने आएंगे ही, लेकिन मेरा यहाँ पर कमेंट करने का उद्देश इस सवाल का ज़वाब पाना है। एक दलित या मुस्लिम की लाश ही क्यों ढूंढते फिरते है राजनीति करने वाले? जो मुआवज़ा अख़लाक़ के घरवालों को मिला वो प्रोत्साहन ही है रोहित जैसों के लिए के लिए, जान देने के लिए। वे जान गए है, हम मर भी गए तो कुल का उद्धार कर देंगे। सारे कर्जे चुक जायेंगे, परिवार को भरपूर पैसा, फ्लैट, नौकरियाँ, क्या-क्या नहीं मिल जाएंगा। उस जैसों की मौत के जिम्मेदार वो लोग है जो तुष्टिकरण की राजनीति करते है, और लोगों की बलि लेकर इन छद्म धर्मनिरपेक्षतावादियों का राजकारण चलता रहता है... धिक्कार है इनकी ऐसी राजनीति का, लानत है ऐसे राजनेताओं के जीवन पर। रही बात 'साहित्यकारों' की, वंशवादी राजनितिक राजघरानो के टुकड़ों पर पलनेवाले बिना रीढ़ के साहित्यकारों को उनकी अपनी आने वाली पीढ़ी ही सबक सिखाएंगी। जब ये निवाले निगलते होंगे तो इन लाशों की बोटियाँ कहीं न कही भीतर में चुभती तो होंगी ही। आज नक्‍सलवादियों ने सात पुलिस के जवानों को मारदिया लेकिन कोई नेता या इतिहासकार नही बोला । क्‍या वे किसी के बेटे या पिता नही थें ? जागों जनता जागों  ...............................

Tuesday, 19 January 2016

दोहरे मापण्‍ड

  राजनीति के दोहरे मापदण्‍डो के कारण देश के विकास पर बहुत ही गहरा असर पड रहा है और देश के हित का कोई भी काम इस देश की जनता के द्वारा चुने गयें नेता गण करनें नही दे रहे है या होने नही दे रहे है । हमारें देश को आजाद हुए 69 वर्ष्‍ हो गयें है लेकिन हमारें देश  की मानसिकता को उन नेताओं ने जो लगभग उस समय के अंग्रेजों के पीटठू थें बदलनें ही नही दिया । अंग्रेजों के पीटठुओं का ही राजनीति में ज्‍यादा दबदबा रहा है इसलिए हम लोगों कों उन नेताओं ने कभी आजादी का अहसास होने ही नही दिया । इन सब बातों के सबूत आज हर जगह दिखाई पड रहे है कि अंग्रेजी पीटठओं ने अपने फायदों के लिए अम्‍बेडकर जी लिखित संविधान को भी नही बख्‍सा । अम्‍बेडकरजीने आरक्षण को केवल 10 वर्षो तक दिया लेकिन अपने वोट बैंक लिए ये इसे लगातार बढातें जा रहे है । यदि इसे सही तरह से लागू किया जाता तो आज देश का दलित वर्ग सम्‍पन्‍न होता लेकिन उसका फायदा केवल कुछ गिने चुने लोग ही उठा रहे है इसलिए आज 69 साल बीतनें के बाद भी गरीबी वही की वही है क्‍योंकि जिसकों आरक्षण की जरूरत है उन्‍हे तो मिल ही नही पाता । संविधान में ऐसा कही नही लिखा कि जो नौकरी के मापदण्‍ड है उनकों अनदेखा करके आरक्षण दिया जाय तों फिर जो लायक नही है उसे क्‍यों दिया गया ? यदि हमारें  देश के नेता दोगले न होते तो आज अमरिका की जगह हम खडें होते । क्‍या आरक्षण की समीक्षा नही होनी चाहिए ? सब नेता चाहते है हो, लेकिन कहेगा कोई नही । क्‍योकि सबको ये डर है कि कही वो नेता न रहे । देश के लिए सबसें ज्‍यादा योगदान मध्‍यम वर्ग का है नेताओं को चुनने में भी मध्‍यम वर्ग का हाथ है लेकिन सबसें ज्‍यादा शोषण भी आज मध्‍यम वर्ग का ही हो रहा है । क्‍योंकि मध्‍यम वर्ग की फूट को ये नेता अच्‍छी तरह भुनाना जान गयें है । निम्‍न वर्ग को सरकार सारी सुविधाए दे देती है उच्‍च वर्ग पहलें ही इतना लूट चुका है कि उसे सरकार की जरूरत नही है लेकिन ये मध्‍यम वर्ग कहा जायें उसका कोई साहरा नही है । इसलिए मै मध्‍यम वर्ग से जागनें की अपील करता हू और कहना चाहता हॅ कि नेता बनाओं तो अपनें बीच से जिसे आप अच्‍छी तरह जानतें है कि वह जनता के लिए काम करेगा या नही । यदि एक योजना नही करता तो दूसरा बदल दो । इससे कम से कम अपने आप तो एक घर सम्‍पन्‍न होगा । आज कही से भी कोई उच्‍च वर्ग का व्‍यक्ति नेता बनने आ जाता है और हम उसको जीता देते है और वह मनमानी करता है पूरे पाॅच साल तक जनता के पास नही जाता ।  चुनवा के समय  फिर हाथ जोडने आ जाता है और अपने पैसे के बल पर शराब पिलाकर फिर नेता बन जाता है । इसका सबसे ज्‍यादा खामयाजा आने वाली नस्‍लों को होगा । उच्‍च वर्ग के नेताओं ने भी अपनी लोबी बना ली है । जागों जनता जगों ....................................;


Tuesday, 12 January 2016

देश में फैले आंतक और लगातार होने वाली घटनाओं को देखकर ये लगनें लगा है कि देश के नेता और देश के बडे बडे पदों पर बैठे अधिकारी देश से आंतकवाद को खत्म  करना नही चाहते । क्योकि यदि ये आंतक वाद खत्म हो गया तों नेताओं को जनता को बहकाने के लिए मुददे और अधिकारियों को आतंक के नाम पर मिलने वाली सुविधाए और पैसा जिसका कोई आडिट नही होता कैसे मिलेगा । गरीबी भी इसलिए ही खत्म नही हो पा रही है क्यों कि देश के सिर्फ 10 % लोग देश के 90 % लोगो का शोषण कर रहे है और सबसे ज्यादा शोषण तो 52 % उन लोगो का हो रहा है जो 1 % लोगों  को देश की समुचित प्रणाली को चलानें के लिए अपना कीमती मत देकर चुनते है लेकिन वही नेता उन्ही वोट  देनेवालें 52% लोगों को पॉच साल तक खून के आसू रूला देते है फिर दूसरा नेता कस्में वादों के साथ आता है और वह भी वही करता है जो पहले वालें करके गयें है आज तक देश विकास  की ही प्रक्रिया में है लेकिन विकसित नही हुआ क्यों  ? बाबा अम्बेडकर जी ने संविधान में आरक्षण का प्रावधान गरीब और पिछडे लोगों को उपर उठानें और सम्मान दिलानें के लिए  केवल 10 वर्षो के लिए किया था लेकिन इन नेताओ ने उसे अपनी राजनीति और देश को बरबाद करने के लिए उस आरक्षण का मकसद ही बदल दिया और सिर्फ कुछ लोगों ने इसे अपने फायदें के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया । जब एक परिवार का एक व्यक्ति आरक्षण का लाभ लेकर आईएएस या आईपीएस या डाक्टर या अन्य  सम्मानीय  सरकारी सेवा हासिल कर लेता है तो क्या उसका परिवार सक्षम नही हो जाता है ? लेकिन वह उस आरक्षण का लाभ केवल अपने परिवार तक ही सीमित कर देता है जिससे 66 वर्ष बीत जाने के बाद भी गरीबी वही की वही है और आरक्षण सिर्फ कुछ लोगो तक ही सीमित होकर रह गया है । यदि आरक्षण को सही तरीके से लागू किया जाता तो आज हम बहुत आगें होते । आरक्षणमें क्रीमीलेयर की शर्त जोडनी होगी जिससे सही आदमी ही आरक्षण का लाभ ले सके । आरक्षण्‍ा कुछ गिने चुने लोागों की बपौती बनकर रह गया है ।  जागों जनता जागों ....................