Tuesday 10 November 2015

आरक्षण की राजनीति

 सविधान में आरक्षण का प्रावधान सिर्फ 10 वर्षो के लिए निम्न श्रे्णी के तबके को उपर उठाना और उनकी इज्जत करवाना था । लेकिन हमारे नेताओ ने इसका गलत इस्तेमाल करके सिर्फ वोट बैंक का जरिया बना दिया और इसकी समय अवधि  लगातार बढाते रहे हैं जिसका खामियाजा देश के वही निम्न श्रेणी के लोग ही भुगत रहे है क्यो कि जिन्हे एक बार आरक्षण मिला तो वे ही लेते जा रहे है लेकिन उसी श्रेणी के दूसरो को आरक्षण का लाभ नही मिल पा रहा है यदि इसमें आरक्षण का लाभ लेकर निम्न श्रेणी का एक आदमी आई एएस /आईपीसी/डाक्टर/इंजीनियर या अन्य पद पर राजपत्रित अधिकारी बन जाता है तो वह व उसका परिवार सविधान के अनुसार इज्जत और पैसा पाकर उपर बढ जाता है अब उस परिवार को आरक्षण का लाभ क्यो ? उसी जाति के दूसरों को क्‍यो नहीं ? यदि हमारे नेता गण आरक्षण को सही दशा में लागू करते तो आज कोई आरक्षण का हकदार बचता ही नही । सब परिवारों को आरक्षण मिल गया होता । लेकिन नेता गण ये नही चाहते थे उन्हे तो अपने वोट पक्के करने है ।आरक्षित श्रेणी को अपने आस्तिक रखना है नाकि उन्‍हे काबिल बनाना । जनता या देश जाये भाड में । अब ये जहर इस कद्र फैल गया है कि कोई भी सरकार इसे सुधारने की हिम्मत भी नही कर सकती क्योकि जिनकों बिना मेहनत के सब कुछ मिल रहा है तो उनको तो महसूस होगा ही । कांग्रेस पार्टी के नेताओ का बार बार ये कहना कि देखे कैसे करेगी ये सरकार काम हम देखेगें । इसका साफ मतलब है कि कांग्रेस ने तो देश के बीच ऐसा महौल तैयार कर दिया है कि कोई भी सरकार आये कुछ काम ही नही कर सके, कुछ भी करने की सोचे उसे उसमें ही उलझा दो  और हम तो  है ही खिलाडी । कांग्रेस पार्टी के नेता ना तो केन्‍द्र में और ना दिल्‍ली सरकार को काम करने देना चाहते है  क्‍योकि यदि ये दोनो पार्टिया  काम करने में सफल हाे गयी तो कांग्रेस का पत्‍ता साफ ।  इन नेताओ के कारण ही आज अयोग्य लोगों का चयन होता है और जो लोग योग्य है वे चाहे गरीब हो उनका चयन नही होता । आरक्षण के लिए भी कुछ मापदण्ड होने चाहिए थे आरक्षण मे आने वालों को उस लेवल तक लाये जो नौकरी का मापदण्डं है चाहे उसे सरकार को एकस्ट्रा क्लासे ही क्यों न करवानी पडे । दूसरें उनको सामान्‍य श्रेणी से केवल दो से तीन % तक की ही छूट दी जाती । इससे देश मे उच्‍च पदों पर अयोग्य लोगो की संख्या में बढोत्तरी न होती । आज स्थिति ये है कि आरक्षण श्रेणी के बच्चे का दाखला या नौकरी सामान्य बच्चे के मुकाबले 30 से 40 % तक की छूट के साथ मिलते है तो अयोग्यता तो बढेगी ही । जो आरक्षित श्रेणी का उम्‍मीदवार सामान्य श्रेणी के साथ मेहनत करके आगे बढता है उसे तो आरक्षित श्रेणी में गिना ही नही जाता है । इससे सामान्य श्रेणी के गरीब बच्चे भी अपने हिस्से से वंचित हो जाते है । हमारे देश को जो भी नुकसान उठाना पड रहा है उसका मूल कारण दोहरे मापदण्ड है । जब सामान्य श्रेणी के लोग आरक्षित श्रेणी में शामिल नही हो सकते है तो आरक्षित श्रेणी के लोग सामान्य श्रेणी में भी शामिल नही होने चाहिए । लेकिन यहा तो होते है । ये स्थिति देश के युवाओं में आक्रोश का कारण बनती जा रही है और यही हाल रहा तो ये एक विकराल रूप ले सकती है । जातिय दंगें इस आरक्षण के दोहरे मापदण्डों के कारण ही हो रहे है। यदि आज जो भी आारक्षण मॉगें उसे दे देना चाहिए बस उसके साथ क्रीमीलेयर की शर्त जोड दीजिएगा तो कुछ हद आरक्षण का लाभ जरूरत मंदो को मिल सकेगा । यदि आरक्षण के नियमों पर जल्दी ही कुछ विचार विमर्श नही किया गया तो आने वालें समय में यह सरकार और आम जनता के लिए काफी जटिल समस्या होगी । जय हिन्‍द

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