Tuesday 17 November 2015

पुरस्का्र लौटाने वाले अब क्यो नही लौटा रहे है पुरस्‍कार ? क्या चार दिन में अब देश में बदलाव आ गया है ? ये पुरस्कार लौटाने वाले वही लोग है जिनको कांग्रेस के नेताओ की मेहरबानी से ये पुरस्कार मिलें हैं । यदि किसी को कोई शक है तो उनके दस्तावेज देख लिजिए । हर कोई किसी नेता का रिस्‍तेदार अवश्य मिलेगा । यदि इन्हे ये पुरस्कार उनकी योग्यता के आधार पर मिलता तो उन्हे इसकी अहमियत पता होती । उन्हे पता है यदि उनका प्लान कामयाब हो गया तो ऐसे बहुत पुरस्कार दुबारा मिल जाएगें । उन्हे देश की इज्जत से ज्या‍दा अपना मकसद प्यारा है । ये ऐसे लोगों के रिस्तेदार है जिन्होने अपने फायदें के लिए एक देश के तीन हिस्से करवा दिये और दो भाइयों में ऐसी चिंगारी लगा दी जो मुश्किल से ही बुझ सकती है ।क्योकि जब भी कुछ शान्ति का माहौल बनता है ये लोग तुच्छ से तुच्छं हरकते करने लगतें है । दरबारी चाटुकारों ने ऐसे ही समय क्यों पुरस्का र लौटाने का परोपगण्डा रचा, जब सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्य्ता की बात चल रही थी या किसी स्टेट में चुनाव चल रहे थें । इन पदक लौटाने वालों को एक साल पहले ही 50 से ज्यादा इंसान मुजफफरनगर हिंसा के दौरान मारे गयें थें और जबरदस्त आक्रोश चारो ओर फैल गया था वो दिखार्इ नही दिया तब क्यों इन चाटुकारों की आत्मा नही जागी । यदि उस समय जागते तो हो सकता है दादरी जैसा काण्‍ड होता ही नही । दादरी में पी‍डि‍त पक्ष के बार बार हाथ जोडने पर भी नेताओ ने राजनीति करनी नही छोडी आैर उसे पुरस्‍कार लौटाने की राजनीति में बदल दिया । ये नेता अपने फायदे के लिए गरीब जनता को भडकाते है और फायदा उठाते है । मेरी सभी इंसानों से करबद्ध प्रार्थना है कि विवेक से काम ले और ऐसे लोगों को पहचानों जो अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए देश और समाज को बलि चढाना चाहते है । ये पुरस्कार लौटाने वाले सारे उच्च हस्तीे है और आपकी सहानुभूति पाने के लिए ये घटिया हथ्‍ाकण्डे अपना रहे है जिससे इन्हे भी फिर से दुबारा प्रसिद्धि मिल जाये और हो सके तो राजनीति में ही सैट हो जायें । अब सारा मामला शान्त हो गया है । क्योकि जनता इनके प्रोपगण्डे में नही फॅसी और जनता ने अपना विवेक नही खोआ तो सारे दरबारी चाटुकार शान्त हो गयें । 

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