Friday 6 November 2015

असहिष्‍णुता (असहनशीलता/चिडचिडापन)

असहिष्‍णुता
मै न तो कोई लेखक हॅू, ना इतिहासकार,  ना साहित्‍यकार,ना फिल्‍मकार  और ना ही कोई वैज्ञानिक हॅू  मुझे ऐसा कोई पदक भी नही मिला जिसे लौटाकर मै कांग्रेस के अब तक के शासन का विरोध कर सकू  अपने दिल का दर्द ब्‍या कर सकू । भारत के साथ आजाद हुए देश कहॉ से कहॉ पहॅुच गयें । एक तरफ तो हम मंगल ग्रह पर पहुॅच गये और परमाणु बम बना लिये दूसरी तरफ आज भी हमारें  देश में गरीबों के नाम हजारों  योजनाऐ चलने और आरक्षण होने के  बाद भी करोडों लोंग और बच्‍चे  भुखे मर रहे है  क्‍यो ? क्‍योकि  ये योजनाऐ और आरक्षण  गरीबों के लिए  न होकर नेताओ के चापलूसों के लिए ही था । गरीबों के नाम पर आज नेता और उनके चापलूस ही तो देश में मजे कर रहे है । ऐसा ही एक और उदाहरण जनता को देखने को मिल रहा है जो कांग्रेस की पोल खोल रहा है और वो है पदका का  लौटाना । ये सारे पदक कांग्रेस के शासन  काल में  दिये गयें है ।
जैसी राजनीति चापलूस लेखकों ने हिन्‍दी को न बढने के लिए कर रखी है वही लेखक ऐसे ऐसे शब्‍दों का प्रयोग करके और वही चापलूस लेखक अपने पदक वापस करके जनता को गुमराह करके देश को अस्थिर करने का प्रयास  कर रहे है । यदि ये  पदक इन लेखको  को अपने दम पर मिले होते तो वे इनकी अहमियत समझतें और ये रास्‍ता नही  अपनाते । ये पदक उन्‍हे कांग्रेस के नजदीकी होने  और चापलूसी के बदले मिले है, नाकि उनकी काबिलियत के बल पर । कांग्रेस के वही नेता लोग सत्‍ता के दौरान जिनकी सिफारिश पर ऐसे चापसूसों को पदक दिये गये है दबाव बनाकर वापिस करवा रहे हैं ताकि आज की सरकार को बदनाम कर सके और वह काम की तरफ ध्‍यान न देने के बजाय इस काम में उलझ जाय । इसको जनता तर्क के साथ समझ सकती है :

क्र  नाम/स्‍थान दिनाक स्‍थान मृत्‍यु
1 1984 सिक्‍ख दंगे 31 अक्‍टूसे 04 नव 1984 दिल्‍ली 2800 सिक्‍ख
2 देसरी ग्राउंड लुधियाना 28 मार्च 1986 लुधियाना पंजाब 13 हिन्‍दू
3   29 मार्च 1986 जालंधर पंजाब २० हिन्‍दू लेबर
4 बस पैसेंजर सामूहिक हत्‍या 25 जुलाई 1986 मुक्‍तसर पंजाब 15 हिन्‍दू
5 बस पैसेंजर सामूहिक हत्‍या 30 नव 1986 खुददा पंजाब 24 हिन्‍दू
6 हाशिमपुरा सामूहिक हत्‍या 22मई 1887 मेरठ उ0 प्र0 42 मुस्लिम
7 बस पैसेंजर सामूहिक हत्‍या जुलाई 1987 फतेहाबाद हरियाणा 80 हिन्‍दू
8 जगदेब कला सामूहिक हत्‍या 06अगस्‍त  1987 पंजाब 13हिन्‍दू
9 राजबाह सामूहिक हत्‍या 31मार्च 1988 पंजाब 18 हिन्‍दू
10 भागलपुर दंगा अक्‍टू 1989 भागलपूर
बिहार
1000 हिन्‍दू
और मुस्लिम
11 हिन्‍दू पडितों का जातीय सफाया 1990 कश्‍मीर 400 हिन्‍दू
12 गावाकाडल सामूहिक हत्‍या 20 जन 1990 श्रीनगर
कश्‍मीर
50 कश्‍मीरी प्रदर्शनकारी
13 रेल यात्री सामूहिक हत्‍या 15 जून 1988 लुधियाना
पंजाब
80 हिन्‍दू
14 रेल यात्री सामूहिक हत्‍या दिस 1988 लुधियाना
पंजाब
49 हिन्‍दू
15 बम्‍बई दंगे दिस 1992 से जन 1993 मुम्‍बई 575 मुस्लिम,      275 हिन्‍दू,             45  अज्ञात और  5 अन्‍य
16 सपोर सामूहिक हत्‍या 06 जन 1993 सपोर कश्‍मीर 55 मुस्लिम
और हिन्‍दू
17 बिजबेहरा सामूहिक हत्‍या 22अक्‍टु 1993 बिजबेहरा कश्‍मीर 50 मुस्लिम
और हिन्‍दू
18 लक्ष्‍मनपुर सामूहिक हत्‍या 01दिस 1997 अरवाल बिहार 58
19 वंधामा सामूहिक हत्‍या 25 जन 1998 वंधामा जम्‍मू कश्‍मीर 23 हिन्‍दू
20 प्रानकोट सामूहिक हत्‍या 17  अप्रेल 1998 जम्‍मू और कश्‍मीर 26 हिन्‍दू
21 चपनारी सामूहिक हत्‍या 19 जून 1998 चपनारी जम्‍मू और कश्‍मीर 25 हिन्‍दू
22 चाम्‍बा सामूहिक हत्‍या 03 अगस्‍त 1998 चांबा हिमाचल प्रदेश  35 हिन्‍दू
23 चित्‍तीसिंहपुरा सामूहिक हत्‍या 20 मार्च 2000 चित्‍तीसिहपुरा जम्‍मू कश्‍मीर 36 सिक्‍ख
24 गौरंगाटीला सामूहिक हत्‍या 2000 त्रिपुरा 16 गैर आदिवासी हिन्‍दू
25 बागबेर सामूहिक हत्‍या 20 मई 2000 त्रिपुरा २५ गैर आदिवासी हिन्‍दू
26 त्रिपुरा आदिवासी सामूहिक हत्‍या 1999; 2000 त्रिपुरा २० आदिवासी हिन्‍दू
27 नानूर सामूहिम हत्‍या 27 जुल 2000 पश्चिमी बंगाल 11 मजदूर
28 अमरनाथ तीर्थ यात्री सामूहिक हत्‍या  01 अग 2000 जम्‍मू और कश्‍मीर 30  हिन्‍दू तीर्थयात्री
29 किस्‍तवाड सामूहिक हत्‍या 03 अग 2001 जम्‍मू और कश्‍मीर 19 हिन्‍दू
30 गोधरा सामूहिक हत्‍या 27 फब 2002 गोधरा गुजरात 59 हिन्‍दू
31 गुजरात दंगा 28  फब 2002 अहमदाबाद 2,044 मारे गये   (1224 मुस्लिम
और 790 हिन्‍दू)
32 गुलबर्ग सौसायटी सामूहिक हत्‍या 28 फब 2002 अहमदाबाद 69 (48 मुस्लिम 21 हिन्‍दू)
33 नरौदा पातिया सामूहिक हत्‍या 28 फब 2002 नरोदा अहमदाबाद 97 मुस्लिम
34 रघुनाथ हिन्‍दू मंदिर सामूहिक हत्‍या 30 मार्च 2002 जम्‍मू और कश्‍मीर 11 हिन्‍दू मरे    
20 जख्‍मी       (हिन्‍दू भक्‍त)
35 कासिम नगर सामूहिक हत्‍या 13 जुल 2002 जम्‍मू और कश्‍मीर 29 हिन्‍दू 
36 अक्षरधाम मंदिर हमला 24 सित 2002 गुजरात 29 हिन्‍दू मरे    
79 जख्‍मी      (हिन्‍दू भक्‍त)
37 रघुनाथ हिन्‍दू मंदिर हमला 24 नव 2002 जम्‍मू और कश्‍मीर 14 हिन्‍दू मरे 
  45 जख्‍मी      (हिन्‍दू भक्‍त)
38 नादीमार्ग सामूहिक हत्‍या 23 मार्च 2002 जम्‍मू और कश्‍मीर 24 हिन्‍दू
39 कालूचक 14 मई 2002 जम्‍मू और कश्‍मीर 31 हिन्‍दू
40 मराड सामूहिक हत्‍या मई 2003 केरल 08 मरे      
  58 जख्‍मी
41 वाराणसी बम विस्‍फोट मार्च 2006 उत्‍तर प्रदेश 28 हिन्‍दू मरे  
  101 जख्‍मी      (हिन्‍दू भक्‍त)
42 डोडा सामूहिक हत्‍या 30 अप्रेल 2006 जम्‍मू और कश्‍मीर 35 हिन्‍दू
43 समझौता एक्‍सप्रेस सामूहिक हत्‍या 18 फब 2007 दिवाना  स्‍टेशन 68 मरे    ज्‍यादातर पाकिस्‍तानी
कुछ भारतीय
44 टुमुधीबांध सामूहिक हत्‍या अग 2008 उडीसा 5 हिन्‍दू  
45 कण्‍डमाल दंगा अग 2008 उडीसा 42 इसाई
46 मुम्‍बई  26 नव 2008 मुम्‍बई  164 आमनागरिक 11 हमलावर मरे  600 जख्‍मी
47 दंतेवाडा बम विस्‍फोट 17 मई 2010 छत्‍तीसगढ 76 नागरिक       
48 मुजफफरनगर दंगे 25 अगस्‍त 2013 से  17सितम्‍बर 2014 उत्‍तर प्रदेश  42 मुस्लिम    
  20 हिन्‍दू    
   93 जख्‍मी
 उपरोक्‍त दंगो मे काफी आम नागरिक बिना खता के मारे गये उस  समय ये चापलूस और दरबारी  लेखक, कवि, फिल्‍मकार, वैज्ञानिक और साहित्‍यकार कहॉ सो रहे थे  ? 
क्‍या एक अख्‍लाक के सामूहिक दंगे में मारे जाने  से इनका जमीर जागा है या ये लोग जनता को गुमराह करके  देश में सचमुच अव्‍यवस्‍था फैलाने की साजिस रच रहे है जिसके पीछे उन सबका हाथ हो सकता है जिनके द्वारा इनको लौटाये जाने वाले  सम्‍मान की प्राप्ति हुई है । मेरी जनता से अपील है कि अपने विवेक से काम लें और ऐसे चापलूस और दरबारी लेखकों, साहित्‍यकारों, इतिहासकारों, वैज्ञानिकों, फिल्‍मकारों और कवियों के बहकावें में मत आना ........... वरना ये लोग अपने साथ साथ्‍ा देश कों और जनता को बरवाद कर देंगें ।

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