Tuesday, 29 December 2015

केजरीवालजी की चालें

केजरीवालजी दिल्‍ली में जाम और प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ नही करना चाहते है इसका ताजा सबूत आटों के 10000 प्रमिट देने से मिलता है 10000 ऑटों दिल्‍ली की सडकों पर चलने से निम्‍नलिखित प्रभाव पडेगे जिन पर पढे लिखें केजरीवालजी का ध्‍यान क्‍यो नही गया ये भी जनता समझें :-
लगभग 9 आटों सडक पर दो बसो की जगह पर चलेगें तो 10000 ऑटों 2222 बसों की जगह घेरेगें
लेकिन एक आटों मे लगभग 3 सवारी चल सकती है तों 10000 आटों में 30000 सवारी ही चल पायेंगी
तो एक बस में लगभग 50 से ज्‍यादा ही सवारी चलती है तो 2222 बसों 1,11,100 सवारी चलेगीं
एक बस लगभग 3 आटों के बराबर प्रदूषण कर सकती है तो 10000 आटों 3333 बसे उतना प्रदूषण करेगीं ।

यदि केजरीवालजी दिल्‍ली की जनता की सेहत या सहुलियत की सोचते तो आटों के मुकाबलें हाईकैपेसीटी बसों के प्रमि‍ट  देने की या डीटीसी बसें बढानें की सोचते । लेकिन उन्‍होने  ये आटों के प्रमिट सिर्फ अपनें विधायकों के लिए उनके व्‍यापार करनें के लिए दियें है तभी तों वह कानून भी फेल कर दिया जिसके नियम था कि आटों मालिक ही आटों चलाऐगें । लेकिन उसे भी जाम और प्रदूषण की आड लेकर सम और विषम फार्मूला लागू करने पर जनता की परेशानी के बहाने  बदल दिया और आदेश कर दिया कि आटों किरायें पर भी दियें जा सकेगें । ये 10000 आटों केवल और केवल किरायें पर चलाने के मक्‍सद से है नाकि किसी सहुलियत के लिए । दिल्‍ली में पहले से ही लगभग 80 हजार आटों 300 से 400 आर टीवी और अनगिनता बसें बिना प्रमिट के चल रहे है जिससे राजस्‍व की हानि तों हो ही रही है दिल्‍ली में जाम और प्रदूषण भी बढता ही जा रहा है ।यदि केजरीवाल केवल 2000 बसें और बढाये और उनकों सही बारमबारता क्रम में चलायें तो उन 10000 आटों के मुकाबलें जाम कम होगा प्रदूषण भी कम होगा  और लोगो को सहुलियत ज्‍यादा होगी । उक्‍त सम और विषम का फार्मूला जिस भी देश ने लागू किया उसके दुष्‍परिणाम ज्‍यादा निकले और जिसके पास एक गाडी थी उसनें सम और विषम की गाडी खरीद ली वैसा ही यहा होगा । ये सारें हालात देखकर यही लग रहा है कि ये सब ड्रामा कमीशन और व्‍यापार का है । वरना पहले दिल्‍ली सरकार को जाम और प्रदूषण की समीक्षा करनी चाहिए थी कि ये इनका कारण क्‍या है लेकिन केजरी वालजी को अपने लाभ के आगें दिल्‍ली की जनता को तडफाना ज्‍यादा अच्‍छा लग रहा है । आज दिल्‍ली में सबसें ज्‍यादा चौडी सडके है लेकिन उनका उपयोग केवल चन्‍द लोग अपने व्‍यापार के लिए कर रहे है । यदि उसकी एक निश्चित सीमा तय कर दी जाये कि एक दुकानवाला सडक का इतने वर्गमीटर उपयोग कर सकता है और उसका उसे इतना पैसा सरकार को देना होगा । वे लोग अभी भी दे रहे है लेकिन अभी वे पुलिस और एमसीडी के भ्रष्‍ट लोगों को दे रहे है फिर वह सरकार में आऐगा और राजस्‍व बढेगा । लेकिन ये काम आप करना नही चाहते क्‍योकि उससे जनता को फायदा होगा और आप सभी  नेता ये नही चाहतें । आज सडक पर चारों ओर आटों ही आटों नजर आते है हर कार के आगें आपकों आटों मिलेगा । आटों वाला कार को आगें जाने ही नही देता जिससे ट्रैफि‍क सडक पर ही रूका रहता है । यदि आटों की एक लाइन कर दी जाए और उनका ओवर टेक बन्‍द कर दिया जाय तो जाम आधा प्रदूषण आधा । हिम्‍मत है तो करके दिखाओं । इसमें कोई केन्‍द्र सरकार और उप राज्‍यपाल दखल नही देगा । केजरीवालजी मेरे दोस्‍त के पास दिल्‍ली के जाम और प्रदूष्‍ाण को कम करने का सटीक फार्मूला जिसे जनता और दिल्‍ली के सभी लोग पसन्‍द करेगें । 

जागों जनता जागों..................................
और नेताओं की चालें समझों  नेताओं को हमने सिर्फ काम  के लिए चुना है हमें चूसनें के लिए नही ।

Tuesday, 22 December 2015

नेताओं की सच्‍चाई

अभी सारा देश निर्भया काण्‍ड के आरोपी के छूटने पर शोक मना रहा है कोई मोमबत्‍ती जला कर  कोई धरना रखकर और सारी पार्टियों के नेता  भी उनके साथ बढ चढकर हिस्‍सा ले रहे है और उसके छूटने का सारा दोष एक दूसरें पर डाल रहे है लेकिन क्‍या इस देश की जनता कभी समझ पायेगी कि उसके छूटने का असली दोषी कौन है ? ये केश 2012 मे हुआ था उस समय भी यही नेता एक दूसरे पर आरोप लगा रहे थें और कुछ दिन बाद मामला बन्‍द । सब भूल गयें कि क्‍या हुआ था? क्‍यों हुआ था? और आगें क्‍या करना चाहिए? उस समय तों सभी पार्टियों के नेताओं ने  लम्‍बे  लम्‍बें वादें किये जनता शान्‍त हुई और सारे वादे भी शान्‍त हो गयें । अब उसके छूटनें पर फिर वही हंगामा आरोप एक दूसरे पर । इन तीन सालों में यदि इन नेताओं को कुछ करना होता तो कर सकते थें क्‍योंकि नेताओं में से वह किसी बहन या बेटी नही थी और ना ही उसके लिए कुछ करने से कुछ वोट बैंक घटने बढने वाला था । जिससे बढनें वाला था वह एस सी एस टी बिल सबने मिलकर पास  करवा दिया  कोई उस पर बोला तक नही । क्‍यों वहा पार्टियों को उनकी वोट की जरूरत है । बोलते तो वोट कट जाती।  क्‍या इसी तरह नाबालिग से सम्‍बन्धित बिल पास नही हो सकता था इन तीन सालों में संसद के कितनें सत्र चले गयें लेकिन नेताओं कों इससें कोई मतलब नही था । महिला आयोग की अध्‍यक्ष को भी आरोपी मुहम्‍मद अफरोज के छूटनें के चन्‍द घन्‍टै पहले ही महसूस हुआ कि इस पर याचिका देकर लोगों की सहानुभूति बटोरी जा सकती है तो उन्‍होने दो घन्‍टे पहले याचिका दायर की । क्‍या ये याचिका एक हफते  पहले नही दी जा सकती थी ? ये नेता वही काम करते है जिससे इन्‍हे व इनकी पार्टी को फायदा होता हो ।  जब निर्भय काण्‍ड का सबसे जलील हरकतें करने वाला आरोपी मुहम्‍मद अफरोज छूटा तब सबकों एक दूसरें पर आरोप लगानें के सिवा और कुछ दिखाई नही दिया । इन्‍ही नेताओं के कारण देश में अपराधी के चेहरे को ढककर उसें सुरक्षा दी जाती है और जो उस अपराधी का गवाह होगा उसे अपनी टीआरपी के लिए मीडिया बार बार दिखाएगा उसे कोई सुरक्षा नही दी जाती है क्‍यों ? इन्‍ही चीजों का फायदा उठाकर या तो गवाह उनके अनुसार गवाही दें नही तो उसे मार दिया जाता है, पिछले एक साल में लगभग 100 गवाहों को सरें आम मार दिया गया है लेकिन उन पर कोई ध्‍यान नही है, ध्‍यान है तो बस अपराधी को कैसे बचाया जाय । कुछ दिन पहले समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने ब्‍यान दिया था कि जवान लडकों से ऐसी गलती  हो ही जाती है तो क्‍या यही गलती जवान लडके मुलायम सिहं की लडकी या उनके बेटे की बहू के साथ करते तो तब भी ये ब्‍यान दे देते ? राम जेठमलानी जैसे वकील  वकालत कों सिैर्फ पैसा कमानें का जरिया समझतें उसकी खामियों का फायदा उठाकर अपराधी बचाकर न्‍याय को मारना है उसके लिए चाहे उन्‍हे कुछ भी करना पडें उनका काम है अपराधी को बचाना जबकि वकील का काम होना चाहिए न्‍याय को बचाना । सच का तो उनके जीवन में काम ही नही है यदि भगवान है तो ऐसे आदमी के कीडे पडने चाहिए, नही तो ऐसे वकीलों को न्‍याय का साथ ही देना चाहिए पैसे के लिए कसाब का नही जिसे पूरी दुनिया ने गोली चलाते देखा था !  यदि नारी शक्ति एक जुट हो जाय तो ये नेता या अभिनेता नारी का शोषण नही कर सकेंगें । नारी का शोषण करवानें वाली  भी नारी ही है, जो अपने अपराधी बेटै को सीने से लगा लेती है वरना पुरूष समाज की इतनी हिम्‍मत कभी न होती कि जिसे नारी अपने शरीर में से पैदा करती है वही उसका शोषण करें । जागों मेरी माता बहनों जागों और इन अपराधियों को सबक सिखाओं ...............................

Wednesday, 16 December 2015

शकुरबस्‍ती झुग्‍गी झोपडी काण्‍ड

शकुरबस्‍ती में रेलवे की जमीन पर बसी झुग्गियों के हटानें को लेकर विभ्रिन्‍न दलों के नेता राजनीति करने से बाज नही आ रहे है और जनता की सहानुभूति बटोरने के लिए झुग्गियों में जाकर तरह तरह की ब्‍यानबाजी कर रहे है जबकि सच्‍चाई की तह तक कोई नही जाना चाहता है । पहले चर्चा नवजात बच्‍ची की मौत पर की जाय ।  शकुरबस्‍ती की झुग्गियों को तोडने के लिए रेलवे की तरफ से तीन नोटिस उन लोगों को खाली करने के लिए दियें गयें थें जिस पर अमल करके वहा के लोगों ने अपना सामान भी समेटना शुरू कर दिया था । सुबह 0800 बजें सामान पैक करने के दौरान बच्‍ची पर सामान की भारी गठरी गिर गयी और 1000 बजे के आसपास बच्‍ची की मौत हो गयी लेकिन हमारें देश के अक्‍लमंद नेताओं ने इसे झुग्गिया गिराने आई पार्टी पर ही मंढ दिया जबकि वे लोग 1130 बजे वहा पहॅुचे थें । क्‍या किसी भी विभाग को अपनी जमीन अपने किसी प्रोजेक्‍ट के लिए खाली नही करानी चाहिए ? झुग्‍गी डालने वालों पर तो देश की राजधानी में सरकारी जमीन पर झुग्‍गी डालने पर चार मुकदमे दर्ज होना चाहिए :
1 सरकारी जमीन पर जबरदस्‍ती अवैध कब्‍जे का मुकदमा ।
2 बिजली चोरी करतें है उसका मुकदमा।
3 पानी चोरी का मुकदमा ।
4 खुले में मल त्‍याग करके व विभिन्‍न प्रकार के ईंधन जलाकर प्रदूषण करते है उसका मुकदमा ।

नेताओं ने अपने वोट बैंक के चक्‍कर में दिल्‍ली को नरक बना दिया है झुग्‍गी झोपडियों में दिल्‍ली के सबसे ज्‍यादा अपराधी रहतें है जिन्‍हे पुलिस भी पकडने से कतराती है । उसके बाद आप नेता ने ब्‍यान दिया कि कांग्रेस और बीजेपी ने कभी झुग्‍गी वालों को कही विस्‍थापित नही किया । ये दिल्‍ली में रहने वालें सभी जानते है कि दिल्‍ली में चार बार झुग्‍गी झोपडी विस्‍तार योजना चली जिसके तहत झुग्‍गी झोपडी हटाने पर उन्‍हे दिल्‍ली के  विभिन्‍न स्‍थानों पर मकान या प्‍लाट आवंटित किये है, जिसके कारण आज दिल्‍ली में 685 से अधिक झुग्‍गी झोपडी कालोनी है  । आप पार्टी के नेता क्‍या ये बता सकते है कि ये झुग्‍गी झोपडी कालोनी किसने और क्‍यों बनाई ? आपकों तो दिल्‍ली के बारें में कुछ नही पता है । इस योजना के तहत मिले मकानों/प्‍लाटों को बिक्री या किरायें पर भी नही दिया जा सकता है यदि ऐसा पाया गया तो मकान/प्‍लाट को सरकार वापस अपने कब्‍जे में ले लेगी, लेकिन 80% लोगों ने उसे पावर आफ अर्टोनी के माध्‍यम से बेच दिया और फिर झुग्‍गी डाल ली, इसीलिए वे बीस बीस साल पुराना एडरेस पुरूफ दिखा पा रहे है ।यदि आप पार्टी मे हिम्‍मत है तो करके दिखाओं सर्वे कि कितने लोग आज उन मकानों/प्‍लाटों में रहते है जो दिल्‍ली सरकार ने उन्‍हे झुग्‍गी के बदले दिये है और यदि जिसको मकान/प्‍लाट दिया गया था वह वहा रहता नही मिलता तो उसे कब्‍जे में लेकर दूसरे किसी झुग्‍गी वालों  को दो । आपने यदि ये करके दिखा दिया तो जितने झुग्‍गी वाले आज दिल्‍ली में है सबकों  मकान मिल जाएगा । ऐसी हिम्‍मत के लिए ही मध्‍यम वर्ग ने आपकों पूर्ण बहुमत से जिताया था लेकिन आप भी वोट बैंक बनाने के लिए झुग्‍गी झोपडी के नाम पर अपने समर्थकों  की चॉदी कटवा रहे है । परन्‍तु आप तो इतिहास के सबसे गिरे हुए  निकलें,  पल में तोला पल में माशा । क्‍या वे नेता  इमानदार या देश के लिए काम करने वालें हो सकते है जो सरकारी जमीनों पर झुग्‍गी डलवाकर कब्‍जा करने वालों का समर्थन करतें है ? क्‍या वे ये झुग्‍गी अपने मकानों के पास गिरवा सकतें है । ये नेताओं की सोची समझी चालों के तहत ही किया जाता है नही तों राजधानी जैसी जगहो में झुग्‍गी कैसे और  क्‍यों कर  पडती । आज दिल्‍ली में झुग्‍गी झोपडी और उनका ही साहरा ले‍कर भूमाफियों ने दिल्‍ली की १५ हजार हेक्‍टेअर से ज्‍यादा भूमि पर कब्‍जा किया हुआ है जिसे कोई भी संगठन या जिसकी जमीन है छुडवानें पर ये नेता इसी तरह की राजनीति करते है सबकों कुर्सी चाहिए इनकी तरफ से कोई मरों या जीओं । दिल्‍ली में केवल डीडीए की ही 8 हजार हेक्‍टेयर से ज्‍यादा भूमि पर भूमाफिया नेताओं और झुग्‍गी झोपडीवालों ने कब्‍जा कर रखा है । सारें कब्जे नेताओ के इशारों पर ही हुए है । जागों जनता जागों .................

Monday, 14 December 2015

केजरीवालजी की इमानदारी

केजरीवालजी यदि इमानदार सीएम है और वे कुछ करने की हिम्‍मत रखते है तों दिल्‍ली में अब तक खुल तौर पर लगभग चार बार झुग्‍गी झोपडी विस्‍तार योजना के तहत दिल्‍ली को झुग्‍गी मुक्‍त करनें हेतु दिल्‍ली सरकार द्वारा झुग्‍गी वालों को झुग्‍गी के बदलें फलैट या प्‍लोट दियें गयें है जिनकों नियम के अनुसार न तो बिक्री किया जा सकता है और न ही स्‍थानान्‍तरित और यदि किसी ने भी फलैट या प्‍लोट बिक्री या जीवित रहने किसी को स्‍थानान्‍तरित पाया गया तो वों फलैट या प्‍लोट कानूनन दिल्‍ली सरकार के हो जायेगें । केजरीवालजी आप इमानदार है तो करके दिखाइये ये जॉच और ऐसे फलैट या प्‍लोटों को तलाश करके इन झुग्‍गी वालों को देने कृपा करें । परन्‍तु आप तो सिर्फ जनता को दिखानें के लिए इमानदारी को चौला पहनना चाहते है लेकिन जनता सब जान गयी आपकी ये वोट बैंक की राजनीति । दिल्‍ली की जनता पहले ही दुखी थी आप पर विश्‍वास किया आपनें तो उन्‍हे पहले वालोंसे  भी ज्‍यादा धोखा दे दिया । आपकों सिर्फ और सिर्फ ये लगता है कि आप पार्टी को झुग्‍गी वालों ने ही वोट दिया है लेकिन देश में सबसेज्‍यादा दुखी इस मध्‍यम वर्ग कें लोगों ने ही आपकों वोट करके सी एम बनाया है और उसी को आपनें भी खून के आसू पीनें के लिए मजबूर कर दिया है । क्‍योंकि जाम से सबसें ज्‍यादा दुखी मध्‍यम वर्ग ही है जिसका सारा समय दिल्‍ली की सडकों पर जाम में फॅसकर इसी प्रदूषण में बीतता है ।प्रदूषण का लेवल भी इन झुग्‍गी झोपडियों में जलायें जानें वालें विभिन्‍न प्रकार ईंधनों से भी हो रहा है । आप हर बात का सर्वे  करातें हो इसका सवें करवाओं ना पता चलें कि प्रदूषण एक वजह यह भी है । दिल्‍ली में झुग्‍गी डालने वाला चार अपराध तों सरें आम करता है  1 सरकारी जमीन पर अवैध कब्‍जा । 2 बिजली की चोरी  । 3 पानी की चोरी । 4  जगी मल त्‍याद करके गन्‍दगी फैलाकर और विभिन्‍न प्रकार के ईधन जलाकर प्रदूषण करना । ये चारों अपराध करने वालों को दिल्‍ली सरकार खुला समर्थन करके भी दिल्‍ली की जनता को गुमराह करती है कि केजरी वालजी इमानदार है जो सी एम सच को सच  न कह सके वह कैसा इमानदार ? आज दिल्‍ली में सी एम के कारण सडकों के बीच रेहडी लग रही है आटोंवालों सडकों की कार वाली लैन में चलकर वही रोककर सवारी उतारता और चढाता है क्‍या ये नियम का उलंघन नही है यदि कोई पुलिस का कर्मचारी उन्‍हे रोकता है तो उनका सीधा और खरा जवाब होताहै  हम केजरीवालजी के आदमी है, महंगा पड जाएगा । यदि केजरीवालजी और उसके पक्ष में कमेन्‍टस करनें वालों को इसमें थोडा सा भी झूठ लगें तो मै उनकों ये शब्‍द और कार्यवाही दिखा सकता हॅू जो रोज सडकों पर हो रही है । केजरीवालजी आप काफी पढें लिखें है सविंधान के अनुसार कोई किसी को उसके अधिकार से वचित कर सकता है लेकिन आपने अपने वोट बैंक को बढानें के लिए आम जनता के चलने के लिए बनायें गयें फुटपाथ पर दुकाने लगवाकर पैदल चलने वालों को अधिकार छिनवा दिया तो आप कहा से इमानदार है ?


नोट : मेरे पास एकदम सटीक फार्मूला है दिल्‍ली का जाम और प्रदूषण रोकने का जिसे दिल्‍ली की ८०% से ज्‍यादा जनता  पसन्‍द करेगी । 

Friday, 11 December 2015

कांग्रेस की सच्‍चाई

कांग्रेस के नेता गण हेराल्‍ड के मामले को इतना तूल सिर्फ चमचागिरी के लिए दे रहे है या जीएसटी पास नही होना देना चाहते संसद का खर्च देश की जनता की खून पसीने की कमाई से चल रहा है इसे अपने स्‍वार्थ के कारण न चलने देना कांग्रेस की कमजोरी दर्शाती है और जनता को गुमराह करना । उक्‍त  मामला  तो कांग्रेस की सरकार के जमानें का ही है उसी समय आपने क्‍यों नही इसकों हल करवा लिया था जो आज कांग्रेस मौजूदा सरकार पर दोषारोपण करके संसद नही चलने दे रही है और देश की न्‍याय पालिका पर उॅगली  उठा रही है कि न्‍याय पालिका उसके कहने पर कर रही है ।यदि राहुल और सोनिया पाक साफ है तो उन्‍हे किस चीज का डर है अपना पक्ष अदालत के सामने रखें और अपना जाहिल पन न दिखाकर जनता को सच बताए लेकिन कांग्रेस की कारगुजारी से जनता को लगने लगा है कि इसमे मामलें में राहुल और सोनिया सचमुच दोषी है । यदि फिर भी इसे मान लिया जाय तो  कांग्रेस सरकार के समय के न्‍याय पालिका द्वारा दिये गये सारें निर्णय उस समय की सरकार के दबाव में दियें गयें होगें । कांग्रेस अपने को सही साबित करने के लिए कुछ भी कर सकती है कुछ भी कह सकती है जिसनें 70 सालों तक देश में बेइन्तहा भ्रष्‍टाचार का तांडव मचाया और अब राहुल एण्‍ड पार्टी कहती है हम भ्रष्‍टाचार कम करेंगें । ऐसी बातें करतें हुए उन लोंगों को शर्म भी महसूस नही होती है । क्‍या  जनता ये नही सोचेगी कि इतने शासन करते समय कभी राहुल एण्‍ड पार्टी को कभी भ्रष्‍टाचार शब्‍द  याद नही आया लेकिन जब भुगत भोगियों ने इसें मिटाने के लिए कमर कसी तो जनता का रूख देखतें हुए स्‍वयं भी कहने  लगें कि हम भ्रष्‍टाचार रोकेंगें । कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने कभी जनता के लिए काम नही किया । काम किया सिर्फ अपने गिनें चुना चापलूसों के लिए । यदि जनता के लिए चलाई गयी योजनाओं का आधा पैसा भी योजनाओं में लग जाता तो हम आज विकसित देशों की श्रेणी में आ गयें होते । हमारें देश के नेता पारिवारिक राजनीति में कुछ  ज्‍यादा ही विश्‍वास रखतें है, गरीबों के लिए चलाई योजनाओं का सारा पैसा हडपनें  में भी विश्‍वास रखतें है तभी तों सालों से चले आ रहे कई मुददें खत्‍म नही हो पा रहे है और ना ही ये नेता खत्‍म होने देंगें जैसे 1) कश्‍मीर मुद्दा, 2) आसाम में बोर्डो लैण्‍ड मुद्दा, 3) नक्‍सली/माओवादी मुद्दा, 4) आरक्षण का मुद्दा, 5) राम मन्दिर मुद्दा आदि इतने मुद्दे बनाकर खडें कर देतें है और उन्‍हे खत्‍म नही होने देतें । मै इन मुद्दों पर एक एक करके रोशनी डालूगा ।  जागों जनता जागो ...................

Thursday, 10 December 2015

आजतक नेताओं के दोहरे मापदण्‍उ

सम और विषम गाडियों के परिचालन में महिलाओ को दी जाने वाली छूट के सन्‍दर्भ में 
हमारे देश के नेताओ के दोहरे मापदण्‍डों के कारण आज तक हम विकसित देशों की श्रेणी में नही आ सके । इसका मूल कारण है जनता जिस भी नेता पर विश्‍वास करती है वही गददारी करता है । नेता अपनी कुर्सी बचाने के लिए अपने 20 % वोट बैंक के चक्‍कर में 80% जनता को भूल जाता है आज चारों तरफ जो महौल बन गया है ये उसी सोच का नतीजा है । यदि एक कानून इस देश में रहने वालें सभी लोगों के लिए एक हो तो उस कानून की या योजना की अहमियत होती है, लेकिन नेता हर योजना में दोहरे माप दण्‍ड अपनाते है इतिहास में इस तरह के उदाहरण भरें पडें है और आज उसी का खामयाजा देश की केवल 80 % जनता भुगत रही है । ताजा उदाहरण :-

1 दिल्‍ली में हेलमेट लगाना सभी के लिए लागू किया गया लेकिन सरदारों और उनकी औरतों को छूट दे दी गयी और गुमराह किया गया कि धर्म मे नही है वही सरदार जब क्रिकेट खेलता है और हेलमेट लगाता तब क्‍या धर्म्‍ में लिख जाता है ?

2 जब रक्षाबन्‍धन या भैया दूज का पर्व होता है तो महिलाओं के लिए फ्री यात्रा कर दी जाती है जब संविधान में बराबरी का दर्जा मिला है तब ये भेद भाव क्‍यों ?
और अब सम और विषम नम्‍बरों की गाडियों के परिचालन में भी वही दोहरा मापदण्‍ड । क्‍या महिलाओं के गाडी चलाने से गाडिया जाम नही लगायेगी या प्रदूषण नही फैलाएगी ? नेता लोग ये सब हत्‍थकण्‍डे सहनुभूति बटोरनें के लिए और कानून या योजना को कमजारे करने के लिए  अपनाते है । केजरीवालजी ने  योजना को शुरू करने से पहले ही फेल कर दिया है । ये सब कमीशन का ही चक्‍कर है बाकि कुछ नही । वह चाहते ही नही कि दिल्‍ली जाम व प्रदूषण रहित हो । वे तो जनता को ड्रामा दिखा रहे है । वरना जिसके कारण जाम और प्रदूषण फैल रहा है उसका कुछ तो हल करते ।
ऐसा ही पिछली सरकार ने बीआरटी बनवाकर किया था । बीआरटी को इस ढंग से बनाया गया कि वों फेल ही हो, और पैसा भी कमाया जा सके और फिर उसें तोडने में भी पैसा कमाया जा सके । ये नेताओं के सोचे समझें प्‍लान है । यदि दिल्‍ली सरकार में हिम्‍मत है तो मेंरें पास है फुलपुरूफ प्‍लान । मेरा प्‍लान तार्किक रूप से दिल्‍ली के लिए हर तरह से फिट है उसे सिवाय नेताओं के कोई नही नकार सकता क्‍योकि आज तक नेताओ ने चाहा ही नही कि जनता को कोई सहूलियत मिले । दिल्‍ली की सारी जनता को ये प्‍लान पसन्‍द आयेगा और दिल्‍ली का जाम और प्रदूषण नदारद हो जाएगा । दिखाओं हिम्‍मत करों, मेरें प्‍लान पर अध्‍ययन । मै पिछलें साल से लगातार जाम और प्रदूषण के बारें में लिख रहा हॅू लेकिन सरकार का मामूली सा ध्‍यान इस तरफ गया तो लेकिन वो भी इससें फायदा उठानें के लिए नाकि इसे रोकने के लिए ।
गडगरी साहब एक दिन जाम में फसें तों तिलमिला गयें लेकिन उस जनता का सब्र देखिए जो रोज इस जाम और प्रदूषण कों झेल रही है । गडगरी साहब के पास तो चलाने के लिए चालक और एसी गाडी थी फिर भी होश खो बैठे लेकिन जिसके पास ये कुछ नही है और वह रोज इस जाम में फसता है तो उसका हाल क्‍या होता होगा ।  जागों जनता जागों ................................


Wednesday, 9 December 2015

कांग्रेस की नीति

देश के किसी भी ख्‍याति प्रद व्‍यक्ति या नेता अभिनेता पर कोई भी दोष के लिए कोर्ट या सरकारी मशीनरी किसी भी तरह आदेश जारी करें प्रत्‍येक व्‍यक्ति ये कहकर कि ये सब विरोधियों की चाल है जनता की सहानुभूति बटोरने की कोशिश करता है और सबूत होने के बावजूद अपनी ही बात पर इस अदा के साथ डटा रहता है कि जनता को लगें  कि सरकार सच मुच उसके खिलाफ गलत कर रही है । मेरी जनता से गुजारिश है ऐसे लोगों के प्रति कोई सहानुभूति दिखानें की जरूरत ही नही है बल्कि जनता को कहना चाहिए यदि सचमुच कुछ नही किया तो बच जाएगा । जनता की सहानुभूति की सोचकर सरकार कोई भी ठोस कदम उठाने में हिचकिचाती है और वह अपराधी नेता या अभिनेता साफ बच जाता है । अभी कुछ दिन पहले शारूख खान को इडी द्वारा  नोटिस दिया गया तो उसे इस बात से जोड दिया गया कि उसने असहिष्‍णुता पर कुछ कह दिया था तो उसे नो‍टिस दिया गया । मै  ये कहने वालों से पूछना चाहता हॅू कि क्‍या इस तरह के नोटिस यदि किसी को मिलते है तो उनका निपटारा विरोधियों पर थोपकर सहानुभूति बटोरने के लिए किया जाना चाहिए या उसके निपटारें के लिए सही प्रक्रिया अपनानी चाहिए ? सोनिया जी और राहुलजी को कोर्ट द्वारा समन उनकी सरकार के दौरानउठे मामले में मिला है उस समय तो बीजेपी सरकार थी ही नही तो कांग्रेस और उसके चाटुकार जनता को ये क्‍यो दिखा रहे है कि ये केन्‍द्र सरकार करवा रही है । इसमें तो वे कांग्रेस न्‍यायपालिका पर सीधें सीधे  आरोप लगा रही है कोर्ट सरकार के कहने पर चल रही है लेकिन ये मामला तो कांग्रेस की सरकार के सामने ही कोर्ट गया था तब उन लोगों ने क्‍यों नही रूकवाया ? कांग्रेस की पहले से ही ये नीति रही है कि अपना दोष दूसरों पर मढ कर जनता की सहानुभूति बटोरों और अपने द्वारा किये गयें कुकर्मों  को किसी भी तरह कुछ भी गलत से गलत करके अपने को साफ सुथरा पेश करना रहा है । लेकिन शायद वे ये नही जानते कि अब जनता सब समझनें लगी है,  कांग्रेस के नये नये तरीके सब जनता के सामने अब फैल है । यदि किसी को भी किसी भी तरह का नोटिस या समन मिलता है तों जनता को सूझबूझ से काम लेना चाहिए और नोटिस या समन मिलने वालें व्‍यक्ति के चाटुकारों से भी बचना चाहिए । जागो जनता जागो ..............

Tuesday, 8 December 2015

जाम प्रदूषण रोकने के सही टिप्‍स



मैने दो दिन दिल्‍ली की सभी  सडको का अध्‍ययन किया तो पाया कि जाम के कारण बहुत सारें है ।  दिल्‍ली सरकार द्वारा प्रस्‍तावित आड और इवन गाडी तीन तीन दिन चलाने की योजना केवल गाडियों की बिक्री बढानें और गाडी कम्‍पनियों से कमीशन बटोरनें की लग रही है । क्‍योंकि जिसके कारण दिल्‍ली में जाम लगकर प्रदूषण में भारी मात्रा में बढोतरी हो रही है उसकी तरफ तो सरकार देख ही नही रही है । दिल्‍ली में हर तरफ 100 फुट से 200 फुट तक की सडकें है, लेकिन फिर भी जाम क्‍यों ? ये सब इन्‍ही नेताओं की देन है । क्‍योकि जनता ने, इन्‍हे नौकरशाह, अपना काम ठीक ढंग से करें, इसलिए चुना है नाकि उन्‍ही नौकरशाहों के साथ मिलकर जनता को लूटने के लिए । दिल्‍ली की सडकें इतनी चौडी होने के बावजूद जाम लगनें के बहुत ही कारण है जिनकों कोई भी सरकार अपनें वोट बैंक के चलतें रोक नही पाई थी । केजरीवालजी में थोडा जनता को दम दिखा था तो जो केजरी जी ने जनता से मांगा जनता ने दिया, लेकिन वह भी अब ये सच्‍चा काम करने में डर रहा है क्‍या सिर्फ कुर्सी के लिए ? दिल्‍ली की सडकों पर 8 फीट तक  दुकानवालों का कब्‍जा, उसके बाद सामान खरीदनें आयें गाडी वालों की पार्किग, उसके बाद रेहडी वालों की रेहडी सडक के बीच में, उसके बाद आटों वालें सवारी सडक के बीच में आटो रोकर उतारना और चढाना करते है सडके गाडी चलने के लिए जब छोडा ही नही तों जाम तों लगेगा ही । आड और इवन नम्‍बर की गाडी का नियम लगाने पर क्‍या वे गाडी उडकर जाऐगी ? आज सच बोलने वालें केवल 5 % है जिन्‍हे लोग बेवकूफ की श्रेणी में रखते है और  केवल  5 % ही लोग 80 % लोगों का दबाके शोषण करतें है । आज यदि दिल्‍ली को जाम से और प्रदूषण से मुक्‍त करना है तो कडाई से जगमोहनजी जैसें फैसलें लेने की जरूरत है नाकि परेशान जनता को और ज्‍यादा परेशान करने की । आप पर जनता का विश्‍वास है उसे ऐसे ओछे फैसलों से कम मत होने दों, जनता सब समझ रही है । क्‍योकि ये नियम लागू होते ही गाडी खरीदनें वालों की बाढ सी आ जाएगी और हर प्रकार के वाहन दो दो हो जाएंगें । दिल्‍ली में यदि अवैध कब्‍जे हटाकर हाई कैपेसीटी सार्वजनिक वाहन सूचारू रूप से चलाये जाये तो ही दिल्‍ली का जाम और प्रदूषण दोनो से दिल्‍ली की जनता को निजाद मिल सकती है । इसके अलावा और कोई रास्‍ता  है नही । यदि इसके अलावा कोई भी रास्‍ता अपनाया जाता है तो वो सिर्फ नेताओं के फायदें के लिए होगा आम जनता के लिए नही । दूसरा  एक तरीका और है :- दिल्‍ली में नौकाशाहो की तीन श्रेणी है 1 केन्‍द्रीय कर्मचारी, दिल्‍ली सरकार के कर्मचारी और प्राइवेट संगठनों के कर्मचारी । अब सभी की  डयूटी लगभग सुबह 0900 बजे से 1000 बजे के बीज शुरू होती है तो सभी कर्मचारियों का घर से निकलना एक साथ होता है जिससें सडक पर ज्‍यादा भीड  होती है । यदि इन तीनों श्रेणियों की डयूटी का अन्‍तर 2 घन्‍टे कर दिया जाय तों घर से निकलने का समय एक साथ न होकर आगे पीछे होगा तो सडक पर ज्‍यादा लोग एक साथ नही होगे तो जाम नही लगेगा और समय बचेगा और प्रदूषण भ्‍ाी नही होगा । जैसे माना सुबह 8000 बजे से शाम 1600 बजे तक केन्‍द्रीय कर्मचारी 1000 से 1800 बजे तक दिल्‍ली सरकार के कर्मचारी और 1200 से 2000 बजे तक प्राइवेट संगठन के कर्मचारी । इससे अच्‍छा कोई प्‍लान नही हो सकता जाम और प्रदूषण्‍ा रोकने का ।  जागों जनता जागों  ...................

Monday, 7 December 2015

जाम और प्रदूषण

अभी दिल्‍ली सरकार ने जाम और प्रदूषण कम करनें का नया फार्मूला निकाला है कि सम नम्‍बर वाली गाडी तीन दिन चलेंगी और विषम वाली तीन । क्‍या दिल्‍ली सरकार दिल्‍ली की सडकों को फिल्‍म बनानें वालें निर्देशक का मंच समझती है कि जैसे एक निर्देशक चाहता है वैसा वह फिल्‍म में करता रहता है । उसे लागू करने से पहले दिल्‍ली सरकार को कई मापदण्‍ड अपनानें चाहिए जिससे कानून का दुरपयोग न हो :-
1    सम नम्‍बर वालें दिन नियम तोडकर चलने वाली विषम नम्‍बर गाडी का चालान कितना होगा ?
2    एक दम से कानून लगने पर गलत आने वाली गाडियों को कैसे कन्‍ट्रोल किया जाएगा ? क्‍या इन हालातों में लगने वालें जाम से ज्‍यादा परेशानी नही होगी ?
3    इससे तो भ्रष्‍टाचार ज्‍यादा बढेगा क्‍योकि जिसके पास आज सम नम्‍बर की गाडी है वह विषम नम्‍बर की भी खरीदनें के लिए पैसे का घोटाला करेगा या नही और गाडियों की संख्‍या और बढेगी एवं गाडी के नम्‍बरों के लिए काला बाजारी बढेगी,  इसके लिए क्‍या उपाय किये जाएगें ?
4    दिल्‍ली सरकार और केन्‍द्र सरकार के अधिकारियों की सरकारी गाडियों की क्‍या व्‍यवस्‍था होगी ? या फिर जनता को ही ये सब भुगतना पडेगा ?
5    जो लोग गाडी नही ला सकेंगें उनके आने जाने की क्‍या व्‍यवस्‍था की जाएगी ? क्‍योंकि आज जो स्‍थिति है  सरकार इतनी अच्‍छी बसों की व्‍यवस्‍था नही कर पा रही है जो लोगो को परेशानी न हो ।लोग डीटीसी की बसों के  समुचित मात्रा में व सुचारू रूप न चलने के कारण पहले से ही काफी परेशान है ?
6    ये व्‍यवस्‍था क्‍या आटो, आरटीवी, चार्टड बसों पर भी लागू होगी ?
7    दूसरें राज्‍यों से आने वालें वाहनों पर इस नियम का क्‍या असर होगा ?

ये कुछ पोइंट है जो सम और विषम नम्‍बर व्‍यवस्‍था को लागू करनें में कठिनाई पैदा करेंगें । हॉ इनके हल है यदि आप करना चाहोगें तों कर सकते है । जैसें
1    सम नम्‍बर वालें दिन विषम नम्‍बर की गाडी का चालान 2000 रूपयें से कम न हो और कोई सिफारिश न मानी जाये चाहे गाडी किसी की भी हो ।
2    कन्‍ट्रोन हेतु अर्धसैनिको बलों की सहायता ली जाये जो दिल्‍ली ट्रैफिक पुलिस के साथ डयूटी करें ।
3    यदि किसी घर में पहले से गाडी है तों उस घर में गाडी खरीदनें की अनुमति न हो । फिर भी यदि गाडी खरीदनी आवश्‍यक है तो उस परिवार को जो गाडी पहले है उसी आधार पर गाडी का नम्‍बर मिलें, सम है तो सम नम्बर और विषम नम्‍बर है तो विषम नम्‍बर ही मिलेगा, ये आपके कानून में प्रभावशाली प्रावधान होना चाहिए ।
4    आर्मी और एयर फोर्स के अधिकारियों की तरह केन्‍द्र व दिल्‍ली सरकार अधिकारियों के लिए भी बसों का इंतजाम होना चाहिए ।
5    दिल्‍ली में यदि आज की संख्‍या सें तीन गुनी मात्रा में डीटीसी की बसें 24x7 सुचारू रूप से  चला दी जायें तो सम और विषम वाली व्‍यवस्‍था करने की आवश्‍यकता ही नही पडेगी । उदाहरण के लिए जिस रूट पर मेट्रों सेवा है वहा कारों की संख्‍या अन्‍य रूटों से काफी कम है ।  
6    व्‍यवस्‍था सब पर लागू हो ।
7    दूसर राज्‍यों से आने वाले वाहनों की दिल्‍ली में आने जानें की समय सीमा तय हो और चालान को कडा प्रावधान हों ।


यदि दिल्‍ली सरकार सच मुच दिल्‍ली के प्रदूषण और जाम को कम करना चाहती है तो मेंरे पास है ऐसा फार्मूला । और यदि कारों की बिक्री बढानें के उददेश्‍य से और जनता को दिखाने के लिए ये सब कर रही हो तो इसमें क्‍या कहा जा सकता । जागों जनता जागों .......................


विधायकों का वेतन

ये उन्‍ही  समाज सेवकों से बनी सरकार है  जो जनता के सामने आम आदमी होने का नाटक करते थें वही लोग आज पी एम से ज्‍यादा अपने वेतन पर मेज बजाकर बिल पास कर  रहे है । जिस बिल को पास करवाना होता  है उस में तो एल जी की सहमति लेते है और जिसे जनता की सहानुभूति बटोरने के लिए लटकाना होता है उसे एल जी की बिना सहमति के पेश करते है ज्‍यादा पढा लिखा होने का यही तो फायदा है । केजरीवाल जी क्‍या जनता को बता सकते है कि जिस बिल पर दिल्‍ली को छोडकर पी एम बनने निकले थें उसी बिल को पास करनें में आपकों क्‍या परेशानी थी जो उसमें इतने संशोधन कर दियें ? केजरी वाल जी जनता से आपने जो मॉगा वो जनता ने आपकों दिया लेकिन आपने जनता कों क्‍या दिया ? जाम से त्रस्‍त, बदबू और गन्‍दगी से भरी दिल्‍ली । आपने अपनी खॅासी ठीक करके लोगों को खॅासी कर दी । आप जनता कों दिखानें के लिए जनता से प्रदूषण कम करनें के उपाय बतानें वालें को दो करोड रूपयें देने वाले है ऐसा कहकर जनता को गुमराह क्‍यों कर रहे है ? मै बताउ आपकों उपाय । यदि हिम्‍मत है तो करके दिखाना । ये उपाय करने में  सिर्फ हिम्‍मत की ही जरूरत है आप उसे करना चाहे तो कर सकते है लेकिन आप करेंगें ही नही क्‍योंकि आपकी मनोदशा जनता के लिए काम करनें की है ही नही । आपकों तो सिर्फ बहानें बनाकर  इस बेसहारा जनता को गुमराह करने में ही मजा आता है ।  सच्‍चे कमेंटस लिखने वालों को कहा तक अपनी साइड पर कमेटस लिखने से ब्‍लाक करोंगों हम तो फेसबुक पर भी सच्‍चें कमेंटस लिख सकते है  दम है तो वहा से भी कमेटस लिखनें से ब्‍लाक कर दों आपने अब तक 112 लोगों को अपनी साइड पर सच्‍चेंकमेंटस लिखनें सें ब्‍लाक किया है क्‍या उनकी आवाज कों आप दबा दोंगे । हिम्‍मत थी तो लिखें गयें कमेंटस का जवाब देते । जनता के  सच्‍चे सवालों से कहा तक बचोंगें  ......जागों जनता जागों......................................


Friday, 4 December 2015

सच्‍चाई

आज दिल्‍ली में डीडीए की जमीन,पार्कौ में, सरकारी जमीन, विभिन्‍न संगठनो की जमीनों पर भू  माफियों नें कब्‍जा करके उस मकान बनवा दियें आज यदि कोई पार्टी हटाना चाहे तो क्‍या हटा सकती है ? नही हटा सकती क्‍योकि उन्‍हे उन नेताओं का भरपूर सहयोंग प्राप्‍त है जिसके इशारें पर भू माफियों ने ये सब कारनामें कियें है । तभी आज सभी एक जुट हो रहे है । कही ये पार्टी कोई बडा कदम ना उठा लें और तुम सब जेल में रहो । केजरीवालजी ने तो इतिहास ही रच दिया बेइमानी का । जिसके उदाहरण आज जगह जगह हर दिल्‍ली वासी देख सकता है । सी एम पद पर होतें हुए उसनें साफ साफ कह दिया है जहा सरकारी जमीन दिखें तुरन्‍त झुग्‍गी के नाम पर पक्‍कें मकान बनाओं । आज दिल्‍ली में चारों तरफ झुग्गियों की बाढ सी आ गयी है । लोग फुटपाथ सविर्स रोड पर झुग्‍गी डालकर कब्‍जा करने की होड में लगें हुए है ।  जब चारो इस तरह कब्‍जे और मारामारी है तो गन्‍दगी होना लाजमी है और आज दिल्‍ली गन्‍दगी का ढेर बन रही है । लेकिन नेताओ के कान पर जू तक नही रेंग रही है । केजरी वाल जी बस वोट बैकिंग बनाने में लगें है फिर चाहे दिल्‍ली चाहे जायें भाड में हमें तों अपना उल्‍लू सीधा करना है । जो केजरी वाल विज्ञापन देने वाली सरकारों को जनता के पैसे की बरबादी बताता था आज वों क्‍या कर रहे है ? या इसमें में भी इतिहास बनानें में लगें है ? जागो जनता जागों .....................
आज दिल्‍ली में डीडीए की जमीन,पार्कौ में, सरकारी जमीन, विभिन्‍न संगठनो की जमीनों पर भू  माफियों नें कब्‍जा करके उस मकान बनवा दियें आज यदि कोई पार्टी हटाना चाहे तो क्‍या हटा सकती है ? नही हटा सकती क्‍योकि उन्‍हे उन नेताओं का भरपूर सहयोंग प्राप्‍त है जिसके इशारें पर भू माफियों ने ये सब कारनामें कियें है । तभी आज सभी एक जुट हो रहे है । कही ये पार्टी कोई बडा कदम ना उठा लें और तुम सब जेल में रहो । केजरीवालजी ने तो इतिहास ही रच दिया बेइमानी का । जिसके उदाहरण आज जगह जगह हर दिल्‍ली वासी देख सकता है । सी एम पद पर होतें हुए उसनें साफ साफ कह दिया है जहा सरकारी जमीन दिखें तुरन्‍त झुग्‍गी के नाम पर पक्‍कें मकान बनाओं । आज दिल्‍ली में चारों तरफ झुग्गियों की बाढ सी आ गयी है । लोग फुटपाथ सविर्स रोड पर झुग्‍गी डालकर कब्‍जा करने की होड में लगें हुए है ।  जब चारो इस तरह कब्‍जे और मारामारी है तो गन्‍दगी होना लाजमी है और आज दिल्‍ली गन्‍दगी का ढेर बन रही है । लेकिन नेताओ के कान पर जू तक नही रेंग रही है । केजरी वाल जी बस वोट बैकिंग बनाने में लगें है फिर चाहे दिल्‍ली चाहे जायें भाड में हमें तों अपना उल्‍लू सीधा करना है । जो केजरी वाल विज्ञापन देने वाली सरकारों को जनता के पैसे की बरबादी बताता था आज वों क्‍या कर रहे है ? या इसमें में भी इतिहास बनानें में लगें है ? जागो जनता जागों 

Thursday, 3 December 2015

सच्‍चाई

मेरे देश के पुरस्‍कार लौटाने वालों चाटुकार/दरबारी लेखक/साहित्‍यकार/इतिहासकार/फिल्‍मकार क्‍या इसे देश की जनता को जिसने आपकों फर्श से अर्श तक पहुचॉया है  यह बताने की महान कृपा करेगें कि आज विश्‍व को ऐसा कौनसा देश है जहा असहिष्‍णुता नही है? इसका जवाब किसी भी ऐसे व्‍यक्ति के पास हो ही नही सकता जो सिर्फ दूसरों के रहम और करम पर जिन्‍दा है । क्‍योकि जिसके कहने पर चाटुकार/दरबारी व्‍यक्तियों ने पुरस्‍कार लौटायें है उन लोगों का मानसिक सन्‍तुलन इतना बिगड चुका है कि वे सत्‍ता के लिए कुछ भी कर सकते है और कर रहे है जिसके जगह जगह साफ उदाहरण देखें जा सकते है । आज देश में चारों तरफ शान्ति का माहौल बनता जा रहा है लेकिन ये उन लोगों को चुभनें लगा है । देश में कोई ऐसा काम न हो जाय जिससे देश की जनता को कोई फायदा हो जाय । सारी पार्टियों के नेता एक होकर कोई भी नया काम नही होने देना चाहतें । आज देश के केवल 5% लोग 80% लोगों का पूर्ण शोषण कर रहे है । सारें नेता एक दूसरें की टॉग खीचने में लगें है । क्‍या ये सारें नेता जितनी ताकत एक दूसरें की टॉग खीचने में और जनता को बेवकूफ बनानें में लगा रहे है उसका आधा भी देश के लिए लगानें की कसम खा सकतें है ? किसी भी नेता को जनता की कोई चिन्‍ता नही है । चिन्‍ता है सिर्फ अपने परिवार की । देश में किसी भी नेता का बेटा देश के लिए शहीद हुआ है ? या ऐसे किसी आदमी को जनता ने नेता बनाया जिसका बेटा देश के लिए शहीद हुआ है । हम जनता ने अपना दिमाग में शायद ये बैठा लिया है कि जो नेता है उनके परिवार मे या रिश्‍तेदार ही नेता बन सकते है, आज इसके उदाहरण ही उदाहरण है जैसे मुलायम परिवार, उसके परिवार में पैदा होने वाला बच्‍चा भी किसी ना किसी संगठन का अध्‍यक्ष पैदा होता है, लालू का परिवार, गॉधी परिवार, चौटाला परिवार, हुडडा परिवार, अब्‍दुल्‍ला परिवार, सिधिया परिवार, आदि आदि  । ऐसा हम क्‍यों होने दे रहे है । ये सब हो रहा है इन चाटुकार/दरबारी चमचों की वजह से । ये जनता को कोई ना कोई मुददा उठाकर गुमराह करते आ रहे है और हग इन लोगों की चालाकी नही समझ ही  नही पा रहे है । जब तक राजनीति से परिवार वाद का सफाया नही होगा तब तक देश का विकास ये लोग होने ही नही देंगें । ये लोग विभिन्‍न पार्टियों में भी रहते है और कोई ना पार्टी तो सत्‍ता में रहेगी ही तो पूरा परिवार सत्‍ता का आनन्‍द लेता है । आज कोई भी पार्टी का या निर्दलयी ही सही काम कराना चाहे तो नही करा सकता है क्‍योकि उसे रोकने वालें ज्‍यादा होतें है । कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने शायद सही कहा था कि देश में चाहे कोई पार्टी आयें कोई काम करा ही नही सकता और हम देखेगें ये पार्टी कैसे काम कराती है । मै जहा तक नेताओं और लोगों के बारें में समझा है ज्‍यादातर 60 % नेताओं  और लोगों कों देश में कुछ भी अच्‍छा काम करवाया जाय तों उनका नुकसान होगा । तो वे लोग अपना नुकसान क्‍यों होने देंगें ।  वे उस काम को ही नही रूकवा देगें । यही आम जनता हो समझना होगा ...........जागो  जनता जागों                लगातार जारी ..............................